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________________ रयणसारकहा ३७० सुद्धंत- पुरोहिय-सत्थवाह-सामंतमंति-पमुहेहिं ।। जुत्तो कमसो पत्तो तत्थ निवो थेव दिवसेहिं ।। १९९१ ।। महि-मिलिय-मउलिकमलो, तेहि सव्वेहि पणमिओ राया ॥ कुमरं नरं निरुविय मन्नइ सकयत्थमप्पाणं ।। १९९२ ।। तह कुसुमसुंदरी वि हु सव्वेहिं तेहिं पणमिया तत्तो।। परिरंभइ धूयाओ सिरम्मि परिचुंबए हिट्ठा ।। १९९३ ॥ कित्तियमित्ते काले वकंते वंछियत्थकप्पतरूं ।। सिरिरिसहेसरनाहं नमित्तु संसारसंहरणं ।। १९९४ ।। चक्केसरिनियकन्ना कुमारवरकीरचंदचूडेहिं ।। अन्नेहि वि परियरिओ राया चलिओ पुराभिमुहं ।। १९९५ ।। सो कमसो बलसमुदय-नामिय सेसो जलासयसमूहं ।। सोसंतो संपत्तो, नियनयरासन्नउज्जाणे ॥ १९९६ ।। एसो नूणमणंगो रइ-पीइ-समाहिं दोही तरुणीहिं ।। लक्खिज्जइ त्ति नयरी लोएण पसंसिओ कुमरो ।। १९९७ ॥ पुररमणि-नयण-कुवलयमाला-निववेहिं अंचिओ रण्णो ॥ नयरे महुसव्वेहिं पवेसिओ नियपिया जुत्तो ।। १९९८ ।। सा चक्केसरिदेवी, तेण समं चंदचूडतियसेण ।। कुमरि अणुनवित्ता, संपत्ता निययठाणम्मि ।। १९९९ ।। कणयमयपंजरगओ कीरो उण मुणिय सत्थपरमत्थो ।। कुमरमणविणोयत्थं, कहेइ अक्खाइया निवहं ।। २००० ।। मणवंछियभोग-सुहं अणुहवमाणस्स तस्स कुमरस्स ।। वरिसम्मि वइक्कंते संजायं तयं सुणसु ।। २००१ ॥ जाए निसिहसमए, अमुद्द-निद्देसु जामइल्लेसु ।। निहुयम्मि पुरी लोए, उवसंते बहलहलबोले ॥ २००२ ।। घणतमतमाल-काणण-सम-तिमिरभरेण सयलभुवणम्मि । गसियम्मि दिसिविभाए, सव्वत्थपणट्ठसब्भावे ॥ २००३ ॥ Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002597
Book TitlePaumappahasami Cariyam
Original Sutra AuthorDevsuri
AuthorRupendrakumar Pagariya
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1995
Total Pages530
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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