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रयणसारकहा
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कुमरं अह सो जुगवं, पहरइ सव्वेहि सत्थेहिं ॥ १९१४ ॥ वीसहिं भुय-दंडेहि, नाणाविहपहरणेहिं तिक्खेहिं ।। समकालं पहरंतो, जमो व्व सो दुद्धरो जाओ ॥ १९१५ ॥ तस्साउहसंदोहं, खिप्पं कुमरो खुरप्प-बाणेहिं ।। लघुहत्थो अविहत्थो, छिंदइ अह अद्धचंदेहिं ।। १९१६ ।। एक्केण सायगेणं, भग्गं कोदंड-दंडमवि तस्स ।। तह अवरेणं एसो, विद्धो हिययम्मि कुमरेण ।। १९१७ ॥ अह सो फुरियामरिसो, सहसा बहुरूविणीइ विज्जाए ।। रूवाणि गयण-देसे, विउरुव्वइ लक्ख-संखाणि ॥ १९१८ ।। विम्हियहियओ कुमरो वित्थारइ-जत्थ जत्थ नियनयणे ।। भुयकाणणदुप्पेच्छं, पिच्छइ तं तत्थ तत्थेव ।। १९१९ ॥ तह वि हु अबद्धलक्खं, पहरइ सव्वेसु तस्स रूवेसु ।। अहव न कया वि धीरा हवंति समरे निरुच्छाहो ।। १९२० ॥ अह चंदचूडतियसो, कुमरं मुणिऊण संकडावडियं ॥ गुरुमोग्गरकलियकरो जुज्झइ सह तेण खयरेण ॥ १९२१ ॥ तह तेण मुग्गरेणं, निहओ, सीसम्मि खेयरो सहसा ॥ जह तस्स इमा विज्जा, नट्ठा सत्तीए सहस त्ति ।। १९२२ ।। धुवमेयस्स सुरा वि हु, कुणंति कुमरस्स निच्च सन्निझं ।। इय निद्धारिय खयरो, सहसा अइंसणं पत्तो ।। १९२३ ॥ विजयसि वद्धाविज्जसि, तुज्झ पयावेण सो मए जित्ता ।। इय भणिरेण सुरेणं, पत्तो कुमरो नियं ठाणं ॥ १९२४ ।। अह तीए तिलयमंजरिकन्नाए हरिसनिब्भरंगीए ।। अच्छरियकारि-सुचरिय-दंसणसंजायपुलयाए ॥ १९२५ ।। सज्झसपरवसपुलइय, ससेय-विरलंगुलीसणाहेण ।। निय करयलेण मुक्का, सा हंसी कुमर-कर-कमले ॥ १९२६ ।। (जुयल) हंसी व कुमर-करयल-कोमल-सुह-फरिस-जाय-परितोसा ।।
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