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रयणसारकहा
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रेहति अंबराणि व, दिसाण सीमंतीणीण नीलाणि । कुसुमियचपयलइया, विलयासु केस-पास व्व ॥१८३९।। चक्कायमिहणचक्के, अकाल-संपत्त-कास-पास व्व । राजीवराइजीविय-संहारण-कालसप्प व्व ॥१८४०।। घणतम-तमाल-निब्भर-निकंज-कंजर-गड व्व अइनिविडा । पुरसंदरि-हियएसं मोहसमूह व्व तिमिराणि ॥१८४१ ॥ त्रिसृभिर्विशेषकम् ॥ अह उल्लसिओ लोयण-चकोर-चयदत्त-निब्भराणंदो । निवडंधयार-सायर-दरंत-वडवानलो चंदो ॥१८४२।। जस्स मऊह-समूहावराउछुहिउ व्व हरिस-पडिहत्था । सयलं गिलंती तिमिरं गरुडसमूह व्व अहिनिवहं ॥१८४३ ।। संसद्धकसमसायगजीवावणअमयपनकलस व्व ।। अइमलिण-लंछणच्छल-पयडिय-मद्दो सहइ चंदो ॥१८४४।। अमयरस-पसर-सहयर-तसार-किरण-लहरीहिं । सहस त्ति तिलयमंजरि-कन्ना आसासिया तइया ॥१८४५।। पविरल-पायम्मि परीजणम्मिमं दायमाणसोयम्मि । नरवरलोयम्मि इमा, समट्ठिया पच्छिमे जामे ॥१८४६॥ कुलदेवयाए चक्केसरीए आराममज्झ भवणम्मि । ससिकर-पयडिय-मग्गा, संपत्ता सा सही सहिया ॥१८४७।। नियपाणिपंकएणं, पंकयमालाहि देवि-पय-मूलं । काऊण भत्ति-जत्ता, एवं विनविउमारद्धा ॥१८४८।। चिर पणमियासि चिर पूइयासि तह संथूयासि चिरकालं । कुलपरमेसरि ! चक्केसरि ! सामिणी ! जइ मए पव्विं ॥१८४९॥ तो मह भइणी सुद्धिं,कहेसु सामिणी ! हवेसु सपसाया । आजम्ममेस अप्पा, समप्पिओ तुज्झ सप्पणयं ॥१८५०॥ तिस्सा भत्ति-विसेसा, चित्त-चमक्कारपूरियसरीरा । होऊण पयडरूवा, देवी भणिउं समारद्धा ॥१८५१॥
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