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सिरिपउमप्पहसामिचरिय
इच्चाइविलवमाणा विलुलइ धरणीयलम्मि धूलि व्व । सिमिसिमइजलणजाला कवलियनवसिंसिवि तरु व्व ॥१८२६॥ उव्वत्तइ परिवत्तइ तत्त-सिलायल-विमुक्कसफरि व्व । कढकढइ दुद्ध-मुद्धड-मुही कढिज्जतदुद्धं व ॥१८२७।। मच्छइ कंदइ विलवइ तह सा नीससइ तरुणहरिणच्छी । जह से जणयाइजणो जाओ तज्जीय विगयासो ॥१८२८॥ अह कसमसंदरी सा तिस्सा जणणी वि तत्थ संपत्ता ।। विलवइ हयासदिन्नं दुक्खमिणं मज्झ किं दिव्व ? ॥१८२९।। एक्का हरिया दुहिया अवरा तव्विरह-जाय-दुह-निवहा । मरिहि मह पच्चक्खं हा अहयं कस्स साहेमि ॥१८३०॥ वणदेवयाउ जलदेवयाउ तह गयणदेवयाउ य । रक्खिज्जह मह धूयं संपइ महिमिलियललियतणं ॥१८३१ ।। रे दिव्व ! इमं दूसहहनिवहनिवायनिच्चदल्ललिया । निवडउ तुह सीसे च्चिय तुम पि जाणेसि जेण दुहं ॥१८३२ ।। सहिजणगणा वि सेरंधिया वि अवरा वि परपरंधीओ। विलवंति मुक्क-कंठं ताण दुहे जायदुक्खाओ ।।१८३३ ।। रुन्नं रण्णा रुण्णं पुरेण रुन्नेण तह तया रुन्न । दसहि दिसाहि विरसं विहंगनिवहेहि तह रगं ॥१८३४॥ एत्थंतरम्मि तरणी, तदुहसंभार (भार) भरिओ व्व । अवरे पारावारे, बुड्ढो सहस त्ति वहणं व ॥१८३५।। पव्वं पि पव्वसेला,तइया पसरंति तिमिर-सिबिराणि । निब्भर-सोय-दुहाणि व, नयरी नरनारि हियएसु ॥१८३६॥ तह पव्वपव्वयाओ, उच्छलिया बहलतिमिररिंछोली । जगवं जयं गिलंती, रक्खसिरूव व्व पडिहाइ ॥१८३७।। सो च्चिय पव्वगिरिदो, पव्वदिसा सा वि पव्वमकरिस । उज्जोयं तममिहिं, जयउ अहो समयमाहप्पं ॥१८३८॥
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