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सिारपउमप्पहसामचारय
गोवद्धणेण मोणे, विहियम्मि इमा वि सयण-जण-मज्झे । आह मह नाह जणणी, साहिस्सइ अज्ज कट्ठाणि ॥१६१८॥ नयर-नर-नारि-विसरो वि मिलीयं गंतूण वसुमई वयइ । अज्जे ! अज्ज कयत्था, पाणे परिचयसि जं जलणे ॥१६१९॥ रोयंतियाए वि हसंतियाए नूणं समागयं मज्झ । इय चिंतयंतीए सुओ भणिओ पगणेसु कट्ठाणि ॥१६२०॥ तेण वि विसाय-विम्हिय-मयनियहियएण दारु-संभारं । नीहारिया नियजणणी विहिया जंपाणमारूढा ॥१६२१ ।। एसा वि ससंरंभा गब्भाभिरामवरवत्था । चंदणविलित्तगत्ता नियसुयणजणोह संजुत्ता ॥१६२२॥ कायर-नराण सभयं सदयं धम्मियजणाण सदुगुच्छं। सयणाण पिच्छिराणं पत्ता पुरबाहिरुद्देसं ॥१६२३॥ पड़-पडह-भेरि-झल्लरिवज्जाउज्जेस वज्जमाणेस । सा सयमेव पविट्ठा विरइयकट्ठाण मज्झम्मि ॥१६२४|| पउरो वि पउरलोओ निब्भरसोओ इमाए तं मरणं । पिच्छित्तुमपारंतो संपत्तो नियनियं गेहं ॥१६२५॥ इत्थंतरम्मि तरणी, गुरुतरसुरमग्गगमणखिनो वि । तद्दह-दसण-कायर-मण व्व दीवंतरं पत्तं ॥१६२६।। निय पणइणीए सह गोमईए गोवद्धणो वि तत्थेणेगो । विगएसु वि सयणेसु थक्को एक्को मसाणम्मि ॥१६२७।। पासाइ जाव पिच्छइ ताव न पिच्छेइ तच्छमवि जलणं । जंपइ दइयाभिमहं हयवहमाणेस गेहाओ ॥१६२८॥ सा आह अहं बीहेमि नाह !नियमंदिरम्मि गच्छंति । अच्छंती वि मसाणे इक्का बीहेमि निसिसमए ॥१६२९।। ता दुन्नि वि गच्छामो हुयवहगहणाय नयरमज्झम्मि । एयं ति पयंपित्ता पत्तो सह तीए सो सगिहं ॥१६३०॥
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