SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 361
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३३२ कस्स वि उवएसेणं, उप्पिच्छंती नहम्मि निवयंतं । नियपाणिपंकरणं, तं गिण्हइ रायहंसं व ॥१ ४१ ८ ।। तत्तो गहीर- दुंदुहि-निवहो, सुरसुंदरीसमूहेहिं । जय जय विराव - मीसिय- सद्दो, संताडिओ सहसा ॥१४१९ ॥ हरिस - भर - निब्भरमणा, कुमरं गिहित्तु दिव्व-सत्तीए । अज्जुणसुवण्णवन्ने, गच्छइ सेलम्मि हिमवंते ॥ १४२० ॥ कल्हार - कुमुय - पंकय - इंदीवर - पउम-नियर-संच्छन् । पउमहरयम्मि एसा, गच्छइ सवियासकमलच्छी ॥१४२१ ॥ पउमहरयंतराले मणिरयण - सुवन्न-पत्त-परियरियं । दो कोसमाण - वित्थरमइ - बंधुर - केसरसणाहं ॥ १४२२ ।। रयणमय-कन्नियंतर-विसाल-पासाय- सोहियं रम्मं । सा नियनिवास - पउमं पत्ता कनंत-पत्तच्छी ॥ १४२३ ॥ पासायंतरमणिसयणिज्जे तं सुह मुत्तूणं । करकलियतालविंटा मंद मंदं कुणइ पवणं ॥ १ ४२ ४।। वियलिय तणु संतावो सिरीए भणिओ कुमार ! उट्ठेसु । पउमद्दहस्स लच्छिं पिच्छसु अच्छरियं संजणयं ॥ १४२५ ॥ इय तग्गिराए कुमरो, उम्मीलइ जाव लोयणे सहसा । तो सयल - दिव्व - तरुणी- सिरोमणिं पिच्छए एयं ॥ १४२६ ॥ सा वि कुमार घित्तुं, बाहिं भवणाओ निग्गया तत्तो । जंप कुमार ! एसो, हिमवंतो नाम वरसेलो ॥१ ४२७॥ एत्तो च्चिय सरियाओ, गंगा - सिंधू य रोहियं सा य । पवहंति सुहा - धारा -धोरणि - सम-सलिल - पुनाओ ।।१ ४२८ ॥ हिमवंत - सेल - सिहरे, मणिमय-सोवाण - मालिया रम्मो । चउदिसिरणंत- किंकिणिमणितोरण- मंडि- उद्देसो ॥ १४२९ ॥ सिद्धाययण- जिणेसर-वंदण - संचलिय- सुरसमूहेहिं । Jain Education International 2010_04 सिरिपउमप्पहसामिचरियं For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002597
Book TitlePaumappahasami Cariyam
Original Sutra AuthorDevsuri
AuthorRupendrakumar Pagariya
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1995
Total Pages530
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy