SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 356
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अनंतकित्तिकुमारकहा इत्तो य नियडदेसे तस्सेव गिरिस्स पलयकाले वि । अविदितलपएसं पउमसरं अस्थि वित्थिण्णं ॥१३५३।। विज्जाहरी विलासाभिहस्स तस्सेव मज्झयारम्मि । मणिचूलेणं मणिमयभवणं निम्मावियं तत्ते ॥१३५४॥ गब्भहरम्मि मणिमयपडिमा अजियस्स ठाविया तेण । चारणमुणीसरेणं सा वि पइट्ठाविया विहिणा ॥१३५५॥ तस्स सरस्स अगाहे तलम्मि दुइयं पि अजियनाहस्स । जलकंतरयणभवणं विहिणा तेण कारवियं ॥१३५६।। जलभवणदक्खिणेणं जलकंतमणीहि सत्ततलबद्धो । लीलामंदिरनामो पासाओ कारिउं तेण ॥१३५७|| मणिचूलसरो तत्थ य पासाए विविह-तियस-तरुणीहि । सच्छंदविसयसुक्खं अणुहवमाणो गमइ कालं ॥१३५८॥ पउमसरतीरसंठियरम्मुज्जाणाउ गहिय वरकुसुमो । सो अजियजिणं पूयइ दोस वि भवणेस तिक्कालं ॥१३५९॥ आउक्खएण चविओ मणिचूलो तत्थ चेव आवासे । कालक्कमेण बहवे जाया मणिचूलनामेणो ॥१३६०॥ चंपापरीए राया अहमवि मरिऊण तस्स ठाणम्मि । उप्पनो मणिचूलो महिड्ढिओ वंतरो एत्थ ॥१३६१ ।। तो मह अप्पयधूयं कमलावइ नामियं इमं तत्थ । नेउं जलमज्झत्थे पासाए जेण मंचामि ॥१३६२॥ सो वि ह अणंतकित्ती गइंदहरिओ कमेण देसेस । विविहेस परिभमंतो एही तत्थेव दिव्ववसा ॥१३६३॥ इच्चाइ जंपिऊणं मणिचूलसुरेण तेण नेऊणं । इह पासाए मक्का कमलावइनामिया एसा ।।१३६४॥ भणिया य तेण वच्छे ! सुवनकमलं इमं समारूढा । मह सामत्थेण तमं पउमसरे तत्थ गंतूण ॥१३६५॥ Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002597
Book TitlePaumappahasami Cariyam
Original Sutra AuthorDevsuri
AuthorRupendrakumar Pagariya
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1995
Total Pages530
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy