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सो अवहिनाणजाणिय तत्तो जंपेइ वंतरो तत्तो । कुमरो अणंतकित्ती होही कमलावई भत्ता ॥१३४१ ।। कहमिइ पुट्ठो तेहि वि साहइ सव्वं सवित्थरं एसो । इह आसि दुग्गमग्गा जहत्थ नामा महाअडवी ॥१३४२ ।। तिस्सा य मज्झयारे विसालसिंगो त्ति सेहरी अत्थि । नियरसिहरनियरवित्थरकयसंकडनहयलाभोगो ॥१३४३ ॥ पुव्विं अजियजिणेणं केवलवरनाण-दंसणधरेणं । सयले वसुहावलए विहारमणहं करितेण ॥१३४४॥ सिहरिस्स तस्स सिहरे वंतर - - सुर-असुर - मणुयपरिसाए । समवसरणठिएणं परूवणा एरिसी विहिया ॥१३४५ ॥ इय जिणभवणे वा तस्स बिंबे व रम्मे । समणपमुहसंघे चउव्विहे पुत्थए वा । न य गहियनियत्थो निम्मिओ जो कयत्थो । तमणहमिहमन्त्रे अत्थमन्त्रं अणत्थं ॥ १३४६ ॥ उद्दंड - दंड - रम्मं जिणभवणं जेण कारियं मन्त्रे । विहियसुकयाण मज्झे जय हत्थो उब्भिओ तेण ॥१३४७॥ जेण जिणभवणसिहरे विहिणा धम्मेण रोविओ कलसो || समगं पि तेण मन्त्रे सधम्मजसजीविएस पि ॥१३४८।। तह जिण - बिंब - इट्ठा न कारिया जेण एगचित्तेण । सिवपुररज्जपइट्ठे सो कह लहिही अकयपुन्नो ॥१३४९ ॥ इच्चाइ धम्मदेसणमणहं काऊण अजियजिणनाहो । भव्वारविंदभाणू विहारमकरिसु अनत्थ ॥१३५० ॥ एवं च जिणाभिहियं अणन्नचित्तेण भत्तित्तेण । तप्पव्वयाहिवइणा निसुयं मणिचूलनामेण ॥ १३५१ ।। उल्लसिय विवेएणं तेणं चित्तम्मि चिंतियं एयं । कत्थ वि विसुद्ध से जिणभवणं कारइस्सामि ॥ १३५२॥
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सिरिपउमप्पहसामिचरियं
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