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________________ ३२४ सिरिपउमप्पहसामिचरियं आसणमणहं दिती कहकह वि निवारिया तेण ॥१३१५॥ दासिविमक्कवरासणमासीणो ईसि लज्जियं तिस्सा । लीला-विलास-विब्भम-कलियं पिच्छेइ मुहकमलं ॥१३१६॥ लज्जाए पडिक्खलियं निब्भरअणुरायपिल्लियं गाढं । ताणं लोयण-जयलं गयागयं कुणइ अणवरयं ॥१३१७॥ खणमिलियचलियमउलियविमहाभिमहेहि पिम्मरम्मेहिं । वेवाहियाण कम्मं ताणं नयणेहिं निम्मवियं ॥१३१८॥ उवलालइ तं बालं कुमरो पसयच्छि ! पढमदिवसम्मि । मह लोला लोला वि हु अणवसरा चयइ लोलत्तं ॥१३१९॥ तहाहि - पायालसंदरी वा खयरी वा कनया अकन्ना वा । इय पुच्छा किज्जंती अवुहत्थं पयडए मज्झ ॥१३२०॥ वसुहावलयं सयलं परिब्भमंतेण कह वि नो दिट्ठा । तह तल्ल त्ति इमो खल थइवाओ पायडो मज्झ ॥१३२१ ।। तज्झ निमित्तं खित्तो अप्पा सलिलम्मि दुद्धमद्धच्छि ! ।। इय पयडइ अत्थित्तं अकलिय तत्तम्मि वत्थुम्मि ॥१३२२।। कज्जेण जेण अहयं आहविओ कहस जेण साहेमि । कज्जं तं चिय खिप्पं इय होही अप्पबहमाणो ॥१३२३॥ जइ अज्ज वि तं कना तो मह कुमरस्स संपयं उचियं । तमए सह संबंधो इय धिट्ठत्तं फडं मज्झ ॥१३२४॥ इय तियणसीमंतिणि ! सीमंतसमाणरम्मसव्वंगि ! । मह जीहा मूढ च्चिय जं जाणसि तं करिज्जासु ॥१३२५॥ रंभोरु सा भमुहा निद्देसेणं लवंगियं नाम । आइस्सइ जहा सव्वं साहसु कुमरस्स वृत्तंतं ॥१३२६॥ सा जंपिउं पवत्ता कुमार इह चेव भरहवासम्मि । चंप त्ति आसि नयरी सुपसिद्धा अंगदेसेसु ॥१३२७।। Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002597
Book TitlePaumappahasami Cariyam
Original Sutra AuthorDevsuri
AuthorRupendrakumar Pagariya
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1995
Total Pages530
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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