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________________ अनंतकित्तिकुमारकहा ३०९ अब्भुवगयम्मि रना, इमस्स भवणम्मि सयलसामग्गी । पउणा किज्जइ भोयण-वसणाभरणाइया विहिया ॥११२२॥ भवणस्स दारदेसे, दीसइ दूराओ मंडवो तुंगो ।. खीरोय-जलहि-कल्लोल-लोल-उल्लोय-परिकलिओ ॥११२३॥ धवल-धय-चिंधमाला तरला रेहति नहयलच्छंगे । दाणेसरस्स कित्तीतरंगिणी लहरिमाल व्व ॥११२४॥ खंभ--पएस-निवेसिय-कित्तिम-पारावयाण पंतीस । उल्लसिऊण विरालो, पडिओ हासइ जणं जत्थ ॥११२५।। पायालसंदरी सा पगणं सामग्गियं वियाणित्ता । जंपइ अणंगदेवं, परिवेसिस्सं अह रनो ।।११२६॥ सो भणइ नाह ! मित्तिय-पमाण-भंडाण होमि संवरणं । जाणिस्सइ जइ राया, मं मास्स्सिइ धुवं तत्तो ॥११२७॥ उल्लवइ इमा सच्चं, जच्चो वणिओसि जेण मरणाओ । बीहसि मज्झ वि भणियं, मरिहिसि वितह करेमाणो ॥११२८।। इय से भयं जणित्ता, परिवेस-विहिं पि सिक्खिउं सम्मं । आइसइ हिययवल्लह ! मा हवसु नियं महीनाहं ।।११२९।। गंतुण तेण तत्तो, आहविओ निययमंदिरे राया । पिच्छइय वियसियच्छो, इमस्स लच्छीए विच्छड्डं ॥११३०।। सीहासणे निवेसिय, विसालकच्चोल-परियलप्पमुहं । रनो दिन्नं तत्तो, सा धत्ती तेण आहविया ॥११३१ ।। जंपेइ सत्थवाहो, संदरि ! तं चेव निययनाहस्स । गिहमागयस्स अज्जं, परिवेसविहिं करिज्जास ॥११३२।। आएस त्ति भणित्ता, परिवार-निओग-वाउला-बाला । गंभीर-धीर-महरालावा, परिवेसणं कणइ ॥११३३॥ वरकमलसालि-मोयग-मुरुक्किया-मंडि-खंड-खज्जाइ । सागाइरेगरम्मा, उवणीया रसवई रनो ॥११३४॥ Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002597
Book TitlePaumappahasami Cariyam
Original Sutra AuthorDevsuri
AuthorRupendrakumar Pagariya
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1995
Total Pages530
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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