________________
अनंतकित्तिकुमारकहा
२८९
मंतीहि कुमरबुद्धी पसंसिया राइणा वि सो परिसो । निय भज्जाए सद्धिं विसज्जिओ निग्गओ नयरा ।।८६५।। समयंतरम्मि पुणरवि दो पुरिसा इत्थिया य तह एगा । नवतारुण्णरवन्ना संपत्ता राय-अत्थाणे ॥८६६॥ पुरिसा कुणंति दुन्नि वि इत्थी-कज्जम्मि ते विसंवायं । एगो वयइ इमीए सह भज्जाए अहं चलिओ ॥८६७॥ मिलिओ य अंतराले एसो काऊण किं पि संलावं । जंपइ धुत्तो धिट्ठो एसा मह चेव भज्ज त्ति ॥८६८॥ भत्तारं पइ महिला जंपइ धुत्तम्मि विहिय संकेया । पाविट्ठ ! पारदारिय न भवसि सुमिणो वि मह भत्ता ।।८६९।। कुमरेण ताणि तिन्नि वि भिन्ने भिन्नम्मि ठाविउं ठाणे । पुट्ठाणि पुव्वगामे अन्नुन्नं तेहिं जं भुत्तं ।।८७०।। वमण-विरेयण-विहिणा कया परिक्खा तओ विसंवाओ। महिलाए धुत्तस्स य अन्नोन्नं तेण विन्नाओ ।।८७१॥ निय पइणो सा महिला समप्पिया किं चि सिक्खवेऊण । गहिऊण सव्वसारं धत्तो निव्वासिओ नयरा ।।८७२।। एवं विवायलक्खा उवायकसलेण निययबुद्धीए । निट्ठविया कुमरेणं किमसज्झं बुद्धीमंताण ? ॥८७३॥ साहस्सियाण दाणेसराण दक्खाण रूववंताण । तस्स कुमरस्स रेहा पउरेहिं दिज्जए पढमा ॥८७४॥ . लीलावणेसु कीलागिरीसु सरसीसु वाहकेलीसु । दीवसु व्व दिवसनाहं तं चिय अणुगम्मए लोओ ॥८७५॥ अन्ने सयं कुमारा जिट्ठा कुमरस्स नेय नाम पि । ताणं को वि वियाणइ, दियहे तारागणाणं च ॥८७६।। विनयंकिओ वि वंसुब्भवो वि पुरिसो तहेव को दंडो । न वि पावइ गुणमुक्को वर-कित्तिं तह य टंकारं ॥८७७।।
Jain Education International 2010_04
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org