SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 272
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ललितांगकुमरकथा जह निम्मलजलपंतिं मिलिओ इक्को वि नासए मच्छो । तह बहुगुणसमवायं मिच्छादोसो विणासेइ || २७१ ।। पढमं गुणाण पवरं वित्राणं तम्मि वयणविनासो । वयणे सच्चा भासा तीए वि सिद्धंतभणियाणि ॥ २७२ ॥ अत्रेण वि अलिएणं दुग्गइगमणं जिणेहि पन्नत्तं । तो किह कुणंतु विउसा असुद्धसिद्धंतदेसणयं ॥ २७३॥ निच्च पि सच्चवाई चे पुरिसा ताण सच्चमाहप्पा | उगच्छइ आइच्चो मेरं जलही न मुंचेइ ॥ २७४॥ दीणसरा हीणसरा मुक्खा मूया अगिज्झ वयणा य । दुग्गंधमुहापुरिसा हवंति अलियप्पभावेण ॥ २७५॥ दुदुहि हिरघोसो कयजणतोसा सुगंधिनी सासा । तिहुयणसम्मयभासा परिसा सच्चप्पसाएण ॥ २७६ ॥ गोकन्नावणिविसयं नासवहारं च कूडसक्खिज्जं । वज्जिज्ज पंचभेयं अलियं ललियंगराय व्व ॥ २७७॥ रयणविहारवन्नं मणिमयपायारकिरणहयतिमिरं । · इह अत्थि पुरसमत्थं रयणाउर नाम वरनयरं ॥२७८॥ चंदोवल निम्मविया रेहइ कविसीसमालिया जत्थ । पुरसिरियलोयणत्थं ससिविहिया रूवकोडि व्व ॥२७९॥ तं परिपालइ नयरं तिहुयणजंघालकित्ति पब्भारो । भुयधरियं धरणिभारो ललियंगो नाम नरनाहो ॥ २८० ॥ दुहियजण जाणणत्थं पुरम्मि करवालमित्तपरिवारो । सीहु व्व निसीहेसुं साहसिओ सो सया भमइ ॥ २८१॥ तस्संतेउरसारो निज्जिय रइरूवसव्व सव्वस्सा | लीलावई सुरयणं देवी लीलावई नाम ||२८२ ।। सा सिंगारनिमित्तं देवी दिवसम्मि जामसेसम्म । दासि - परिवारवरिया, जालगवक्खे समुवविट्ठा ॥ २८३ ॥ Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only २४३ www.jainelibrary.org
SR No.002597
Book TitlePaumappahasami Cariyam
Original Sutra AuthorDevsuri
AuthorRupendrakumar Pagariya
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1995
Total Pages530
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy