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________________ पण्णायरमंतिपुत्तकहा तत्तो हिट्ठचित्तो मंतिसुओ मंडलाइवित्थारं । काऊण दिणतिगेणं नयणाणि करेइ सज्जाणि ॥ १२१ ॥ विम्हियाहियओ राया सुयाए संतत्थहरिणनयनाए । पन्नायरेण कारइ वीवाहमहूसवं रम्मं ॥ १२२ ॥ सो लद्धअद्धरज्जो कंचणमालाए विसयसोक्खाणि । अणुहव रयणनिम्मिय पासायसिरिं समारूढो ॥१२३॥ मंतीण दिन सिक्खो जीयं मयरद्धओ वि कालेणं । परिहरइ तओ पच्छा मंतीहिं इमो कओ राया ॥ १२४ ॥ सो तत्थ नियं नाम नयनाणं दुत्ति कहिय लोयाणं । निरवज्जं रज्जं सुहं भुंजइ नरविंद - परियरिओ ॥१२५॥ सो देइ विविहदेसे, संतरियाण रायपुत्ताणं । कारइ वरसम्माणं, संभासं कुणइ सयमेव ॥ १२६ ॥ इत्तो य मित्तनयणे, पहारदाणं करितु सो पावो । पाविट्ठपढमलीहो, सीहोपरि हिंडए वसुहं ॥ १२७॥ जो सेवइ सो राया मरेइ अहवा हवेइ गयरज्जो । देसम्म जत्थ वच्चइ दुब्भिक्खं जायए तत्थ ॥१२८॥ देहम्मि तस्स लग्गा पामा सुमिणे वि नेव वररामा । केण य हयस्स कहमवि मुहम्मि बोलो न तंबोलो ॥१२९ ॥ कडिकप्पडावसेसो सिरम्मि चुप्पडविवज्जिओ निच्चं । सोऊण रायकित्तिं संपत्तो गजपुरे तत्थ ॥१३०॥ दूराउ पावपूरं पच्चक्खं आहिवाहिसंदोहं । पडिहारभूमिपत्तं नियमित्तं पिच्छए राया ॥ १३१ ॥ तं तह दठ्ठे जाओ सोगग्गयसलिलपुन्नगलनालो । मित्सु अमित्तेसु वि गरुयाण मणो अहो महुरं ॥ १३२ ॥ तं दिट्ठमित्त-मित्तं राया पेसित्तु पेससमूहं । कारइ सिणाणमहं परिहावइ दिव्वनेवत्थं ॥ १३३ ॥ Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only २३१ www.jainelibrary.org
SR No.002597
Book TitlePaumappahasami Cariyam
Original Sutra AuthorDevsuri
AuthorRupendrakumar Pagariya
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1995
Total Pages530
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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