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________________ समवसरणवण्णण २१९ तित्थम्मि तस्स पहुणो सामंगी अच्चुय त्ति सुपसिद्धा । दाहिणकरजुयलेणं वरं च बाणं च पयडती ॥६९१ ।। धणुहं अभयं दोहिं पयासयंती य वामहत्थेहिं । नरवाहणाइ तइया सासणदेवी समुप्पना ॥६९२।। समयंतरम्मि सामी सासणवरदेवदेविकयमहिमो । सुरकोडी परियरिओ संजुत्तो समणवंदेहिं ॥६९३॥ चउरंगमोहबलं चउविहधम्मेण झ त्ति निहणंतो । भवियारविंदभाणू विहारमन्नत्थ सो कुणइ ॥६९४।। अभिरूवं वरगंधं अंगं मलसेयरोयपरिमुक्कं ।। नवपंकेरुहपरिमलसरिसा सासा जिणिंदाणं ॥६९५।। रुहिरामिसाणि तिहुयणपहूण गोखीरलहरिसरिसाणि । छउमत्थाण अदिस्सा तहेव आहारनीहारा ॥६९६।। आजम्मभवा चउरो इमे जिणिंदाण अइसया भणिया । जोयणमित्तेखित्ते चिट्ठति नरामराण कोडीओ ॥६९७॥ सव्वजणसरिसभासा जोयणनीहारहारिणी वाणी । सिरपच्छा भामंडलमभिभविय सहस्स करबिंबं ॥६९८॥ तह साहिगस्स जोयणसयस्स मज्झे न वेर-दुब्भिक्खे । परचक्कसचक्कभयं मारी ईई अवुट्ठीय ॥६९९।। अइवुट्ठीय इमे खलु इक्कारस संखकम्मखयजणिया । गयणम्मि धम्मचक्कं, चमरा छत्तत्तयं चेव ॥७००॥ सीहासणमिंदझओ पयविनासम्मि कणयकमलाणि । पायारतियं चउमुहदेहत्तं भुवणमणहरणं ॥७०१ ।। चेइयरुक्खो रम्मो अहोमुहा कंटया तहा सव्वे । तरुअवणइय दुंदुहिरावो पवणो य अनुकूलो ॥७०२।। सउणा पयाहिणा तह सुगंधिजलकुसुमविविहवुट्ठी य । नह-मंसु-केस-रोमा, अवड्ढया तह जहन्त्रेणं ॥७०३।। Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002597
Book TitlePaumappahasami Cariyam
Original Sutra AuthorDevsuri
AuthorRupendrakumar Pagariya
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1995
Total Pages530
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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