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जम्मवण्णणं
जेण धरेण वरेणं, धराए विहिओ सुवीवाहो ॥२४॥ धुवमेसो जयकंटय-निवहं निक्कंदइ त्ति परिभीया । बब्बूला इव तरुसं, अहिरूढा कंटया मन्ने ॥२५॥ अणवरय-दाण-निरयं, कलिय इमं मिलिय-परिभव-भएण । एरावण-धणएहिं, दूरे देसंतरं विहियं ॥२६॥ खारे जलहि-जले वा, अहवा हरि-हियय-अंधयारम्मि । किविण-घरे वा लच्छी, दाण-भया जस्स निवसेइ ॥२७॥ सवियास-कमलकेसर-वना निस्सीमगणगणाइण्णा । सीलवइ-जवइ-सीमा, तस्स ससीमा पिया भज्जा ॥२८॥ सीमंतिनि-रयणेणं, इमेण विजय त्ति जीए मुद्धाए। सोण-नह-निवह-छउमा-मणिणो चरणेस संलग्गा ॥२९॥ कामिय-तित्थं वच्चंति जति रनेस तरुणि-रमणीओ। तिस्सा सोहग्गकए,तवंति तित्थेस विविहेस ॥३०॥ जस्सा रवव्रवनं, समीहयं तं सया सुवनं पि । जलणम्मि विसइ घाए, सहइ तलग्गे समारुहइ ॥३१॥ दिठ्ठा सव्व-पयत्था, न समाए याए तियणे रमणी । इय जंपिउं व जिस्सा, नयणा सवणतियं पत्ता ॥३२॥ सोहग्गमय व्व सुहामय व्व लायण्ण-लहरिमइय व्व । सा सुहमय व्व मुद्धा, नज्जइ घण-पुन-घडिय व्वा ॥३३॥ वियसंत-नित्त-कुसुमा, भयसाहा अहर-किसलय-सणाहा । मणवंछिय-सिद्धि-जया, नज्जइ पच्चक्ख-कप्पलया ॥३४॥ चवला लच्छी चंडी, गिरि-तणया-रोहिणी विसनगई । कोसिय-दइया य सई, उवमाणं देमि किं तस्स ॥३५॥ तं कहमवि निम्माविय विही वि हरिसेण वव्रणज्जत्तो । जीहा जुगंतकोडी-सएहिं, सक्कइ न सक्कइ वा ? ॥३६॥ तिहयणवर-सीमंतिणि, सीमंत-समाए तीए सह रण्णो ।
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