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सुरसुंदररायकहा
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सयलावरोहतिलया, देवी तिलयावली नाम ॥१३६४॥ सह तीए विसयसह, अणहवमाणस्स नरवरिंदस्स । नयणनिमीलणमित्तं, व कइ वि वासा वइक्कंता ॥१३६५॥ सो सारसस्स जीवो, उयरे तिलयावलीए देवीए । अवइनो कयपत्रो, विविहोवाइयसहस्सेहिं ॥१३६६॥ जाए पसत्थलग्गे, उच्चे परमोच्चठाणमणपत्ते । पाएणं गहचक्के, सा देवी पसवए पत्तं ॥१३६७॥ निम्मवइ विहियदाणं, राया किज्जंत सव्वसम्माणं । उग्घुट्ठ अभयदाणं, वद्धावणयं सुहावणयं ॥१३६८।। विहिएसु ऊसवेसु, सुमुहुत्ते सुरसमाणरूवस्स । सुरसुंदरु त्ति नामं, तस्स कयं जणणि-जणएहि ॥१३६९।। रिखण-पयप्पयाणे, मम्मणभणिए य केसअवणयणे । तह अन्नपासणाइसु, जम्मसमाणा महाविहिया ॥१३७०॥ उवयारो विव उत्तमनरम्मि, धम्म व्व मणयजम्मम्मि । परिवड्ढंतो कमसो, संजाओ अट्ठवारिसिओ ॥१३७१ ।। राया कलाकलावं, सयलं पि कलागुरुस्स अप्पित्ता । आयरपव्वं कमरं, अज्झावइ थेवदिवसेहिं ॥१३७२॥ तो गहियसव्वविज्जो, अणंगलीलानिवासमणुपत्तो । जोव्वणसमयं कमरो, विसेसरमणिज्जसव्वंगो ॥१३७३॥ मइनइसहस्स · सिंधू, बंधू अइविसमकज्जमग्गम्मि । पन्नोदउ व्व जीवस्स तस्स मइसायरो मित्तं ॥१३७४।। गणपक्खवायवसओ, परिचयवसओ य तस्स कमरस्स बंधू मित्तं मंती जाओ, सो चेव सव्वत्थ ॥१३७५।। सहियस्स तेण सरि-सर-आरामाईसु कोलमाणस्स । दोगद्गदेवस्स व, कालो परिगलइ कुमरस्स ॥१३७६॥ अन्नदिणे दिणनाहं, अत्थमयंतं पलोइडं राया । चिंतइ चित्ते सहसा, उग्गं संवेगमावतो ॥१३७७॥
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