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सुरसुंदररायकहा
अह भाविरसंतावं समिउं व विमुक्कनित्तनीराए ॥१३१०॥ भणियंतीए सुपुरिस ! सरिज्ज एयं नियं वयणं ॥१३११॥ इय विहियववत्थाए, कालपसूयाणि तीए जायाणि । पिउवंछियाणि विहिचिंतयाणि समगं पवड्ढंति ॥१३१२।। इत्थंतरम्मि सहसा, अवरुप्परवंसघंसनिप्फनो । विहियबहुतडक्कारो, दावो पज्जलिउमारद्धो ॥१३१३॥ पढमं धूमसमूहो, अंधीकयकाणणो समच्छलिओ । गमणमणाण दवेणं, दिसिहणणत्थं व संदिट्ठो ॥१३१४॥ जालामालाउ तओ, दवस्स दीसंति नहयलच्छंगे । पाणिगणहरणसज्जा, जमविहिया जीह-निवह व्व ॥१३१५॥ जस्स पसाएण जयं, जीवइ सयलं पि सो वि दवसहिओ ॥ मारणहेऊ वाऊ, अहो ! कुसंसग्गमाहप्पं ॥१३१६॥ धगधगधगति खयरा, तडयड तट्टति वंसवणसंडा । सिमिसिमिसिमंति सिंसिवि-वणाणि जलिए दवे तम्मि ॥१३१७।। अइउच्चसक्कसिंबलिसिरेस जलिओ दवाणलो सहइ । किं किं रस्स मए, दद्धमदद्धं ति पिच्छंतो ॥१३१८॥ तं पिच्छिय सारसिया पभणइ हा हा ! हयम्हि जायाणि । किह कायव्वाणि मए ? संपइ पिय ! उज्जमिज्जासु ॥१३९९।। इय विलवणसमसमयं दावो वड-विडवि-सिहरमारूढो । पल्लवलवाण जलियं पुंजं निडम्मि मुंचंतो ॥१३२०॥ मा रुयस भीरु । तमयं, रक्खेमि अहं नियाणि जायाणि इय सो आसासंतो, संपत्तो सारसो तत्थ ॥१३२१॥ दढनेह-मोहियमणा, वल्लहसहिया वि सारसी तत्तो । पत्ता आसनाए, सरसिजसाराइ सरसीए ॥१३२२।। तत्तो दन्नि वि ससलिलमणालनालेहिं नलिणपत्तेहिं । छायंति नियं नीडं, अवच्चसंतावहरणट्ठा ॥१३२३॥ आणतयाण ताणं, जइ वि हु डझंति पक्खपिंछाणि ।
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