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सिरिपउमप्पहसामिचरिय
एक्को पडिवइकवलो, एवं पन्नरस पुन्निमासीए । सामलपक्खम्मि पुणो, हायंति कला जहा ससिणो।।९९१ ।। तह पडिवयाइ पनरस कवला एक्को अमावसी दियहे । जवमज्झं चंदायणमेयं इगमासपरिमाणं ॥९९२।।। वोच्छामि वज्जमझं, सामलपक्खम्मि पडिवइतिहिए पनरस कवला एवं, अमावसाए हवइ इक्को ॥९९३।। निम्मलपक्खे इक्को, पडिवइ पन्नरस पन्निमासीए । इय वज्जमज्झचंदायणमेयं मासपरिमाणं ॥९९४॥ नाणाइवढिकज्जे, कज्जा नाणस्स पंचमिं विहिणा । पंचमिया वि य दुविहा, हवइ जहना य उक्किट्ठा ॥९९५॥ पढमाइ पंचमासा ,पंच य वरिसाणि हृति बीयाए । अन्ने जहन्नमेयं,वयंति बीयं तु जाजीवं ॥९९६॥ पुत्थयपूयापुव्वं इमाउ वहिऊण समयविहिएण । विहिणा उज्जमणविहिं, विहिणा जह सत्ति-भत्तीहिं ॥९९७।। मग्गसिर-माह-फग्गण-वइसाहे तह य जिट्ठआसाढे । सियपक्खपंचमीए, परिसो नारी व गिण्हिज्जा ॥९९८॥ जेणं तवसा दिक्खा, नाणं सिद्धी य तित्थनाहाणं । निक्खमणपमुहनामो, सो य तवो होइ नायव्वो ॥९९९॥ अंबिलमेगं खमणं, दोन्नि य आयंबिलाणि अह खमणं एवं खमणंतरिया, जाव सयं अंबिला नेया ॥१०००। आयामवद्धमाणं, तवमेयं इत्थ खमणसयमेगं । आयामाणसहस्सा, पंच य पत्रास अब्भहिया ॥१००१॥ एयम्मि तवच्चरणे, चउदसवरिसाणि तिन्नि मासा य । वीसं दिणाणि एयं, दिणमाणं सव्वसंखाए ॥१००२॥ लहसीहनिकीलियतवे, इग-दग-इक्कं तिगं च दो चउरो । तिग-पण-चउरो छक्कं, पंच य सत्तेव छच्चट्ठा ॥१००३।।
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