SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 14
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अशुद्ध साम पुच्छिम वयाणेण लोहा विरियस संजामिय करिसो विजा तरुण्णस्स परिबुड्ड रोयणा निव्वारण मरणज्झवसाणामाओ गण्हेसु कउवय कहम्म पवित्तिणी सुणमो रिहिरा जुयइकरेहितो बाहल्ला अपरिता यहगमद्दमद्दओ safars जइ ज्ज न इ तो भवभीओ वराडाइहि ववेहेरिजं चोयालीसं कयाविया दससामग्गी बंद्धा आसीदाण पुरस्सरं निव्वणंजओ निट्टो विवग्ग संपायण अअसयनाणी धणंजाण वयं Jain Education International 2010_04 शुद्ध सामण्णं पच्छिम वयणेण हायरियस्स संजणिय केरिसो विज्जा तारुण्णस्स संपरिवुड्डेण राइणा निक्कारण मरणज्झवसाणाओ गिण्हेसु कइवय HT पवत्तिणी सुणामो रेहिरा जयकरेहिंतो बाहुल्ल अंगपरिचारगअंगमद्दओ कइवय जइ अज्ज न देइ तो भयभीओ वराडिया हिं ववहरंउं बाया लिसं कराविया देसगमणसामग्गी बद्धा आसीसादाण-पुरस्सरं धणंजओ दिट्ठ तिवग्गसंपायण अइसयनाणी धजण कयं अशुद्ध सत्थाह पुत्ता भर सओ पडिनिउत्तो विज सेणो बंधो पण्ण सिद्धिवरु दवण पिरिंगयं ऊ इयराणि पुण अण्णाज्ज अविस्es वोच्छ्य हिक्का इसका उत्तमप्पिर समा गय विसत्त सुमूह पहोल्लिर सुटु तमं झयहण्णत्तणं वियाणिजयण वरं मासाणे विहरइ महमल्लग उवविऊण मुज्झि कारुगे निज्जुण ( तीन ) For Private & Personal Use Only शुद्ध सत्यवाह पत्ता भार सुओ पsिनियत्तो विजयसेणो बंधाइ पुण्ण सिद्धिवहू दविण परिगय होऊ इराणं पुणो अणज्ज सेअं भविस्सइ विच्छेय हियय सक्काइ सक्कार उत्तप्पमप्पिअ समाय विसयासत्त सुरसमूह पहल्लिर सुटु तुमं जहण्णत्तणं विय। णिऊण वइयरं सुजाणो मासावसाणे ववहरइ महल्लगड्डा उवचिऊण मट्टिय कारुण्ण निग्गुण www.jainelibrary.org
SR No.002596
Book TitleManorama Kaha
Original Sutra AuthorVardhmansuri
AuthorRupendrakumar Pagariya
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1983
Total Pages402
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy