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दूसरी परम्परा :१२. ३. कनकविलास गणि के २ शिष्य-१. वा० मुनिरंग, २. पं० गोपालजी। १. वा० मुनिरंग→वा० क्षमानन्दन। २. गोपालजी→ सूजोजी→ खींवोजी→वर्धमान→ जीवन । १३. कमलसौभाग्य→ पं० दयामूर्ति→ पं० वर्धमान→पं० देवकुमार। १६. रत्नविमल→ गुप्तिधर्म→ क्षमाधीर→ दयाकुशल। तीसरी परम्परा :क्रमांक ९ - महो० सहजकीर्ति→वा० देवराज→वा० चांपोजी→वा० कानजी*→वा० रत्नशेखर
→वा० दीपचन्द→वा० हस्तिरत्न→ युक्तिसेन वा० श्रीधर-उ० सदानन्द वा० शोभाचन्द्र→ श्रीचन्द्र साकरचन्द। वा० सोभाचन्द वा० आनन्द हर्ष→वा० वर्धमान वा० कनकरंग→
वा० दानविशाल→पं० क्षमाकमल + - वा० कानजी→वा० हीरोजी→ वा० सांवलजी*→वा० हर्षमेरु→ पं० डूंगरसी
वा० कानजी→वा० समयधीर →वा० महिमानिधान→वा० रामवल्लभ पं० कुशलो →पं० कल्याणचन्द→ जैवंतो→ देवो→ मानो। वा० सांवलजी→वा० विद्याविशाल→ दयाराज→पं० सुवाईजी पं० राउजी→ गोधू वा० समयधीर वा० रामवल्लभ पं० सहोजी→ पन्नालालजी पं० गंभीरचन्द→
पं० रतनचन्द>पं० दीपचन्द। युक्तिसेन - वा० जयचन्द→वा० अमरचन्द→ पं० रूपचन्द→ पं० केसर> पं० सुखानन्द।
वा० जयचन्द→ पं० महिमारत्न→ पं० अणदु→ वखतावर
वा० जैतसी (? जयचन्द)→मणसिंधुर> पं० चिमनो→ पं० खुसालचन्द। 卐 - उ० रत्नशेखरवा० लालचन्दवा० दयाचन्द→ पं० जयरूप→पं० रामकिसन→
खुशाल। उ०रत्नशेखर - पं० रतनसी→ वा० ऋषभदास→ पं० विजो, देवकरण। उ०रत्नशेखर - वा० मेघराज→वा० गंगाराम→पं० गुलाबचन्द→ पं० हर्षचन्द पं० मोतीचन्द
तेजसी।
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खरतरगच्छ का इतिहास, प्रथम-खण्ड
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