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१. दार्शनिक साहित्य
२. भक्ति साहित्य ३. चरित्र प्रधान साहित्य ४. उपदेशपरक साहित्य
द्रव्यप्रकाश, विचाररत्नसार, विचारसार सटीक, उदयस्वामित्व पंचासिका, नयचक्रसार, कर्मसम्वेधप्रकरण आदि आपके दार्शनिक ग्रन्थ हैं। इसी प्रकार स्नात्रपूजा, वर्तमान जिनेन्द्र चौबीसी बालावबोध सहित, अतीत जिन चौबीसी, विहरमान जिनस्तवन बीसी, रत्नाकर पच्चीसी भावानुवादरूप विज्ञप्ति स्तवन, शत्रुजय चैत्य परिपाटी, मंगलगीत आदि ६० के लगभग भक्ति सम्बन्धी रचनायें हैं। पंचपाण्डव सज्झाय, पार्श्वनाथ गणधर सज्झाय, ढंढणऋषि सज्झाय, गजसुकुमार सज्झाय आदि कुछ चरित्र प्रधान रचनायें हैं। इसी प्रकार आप द्वारा रचित अष्ट प्रवचनमाता सज्झाय, पंचभावना सज्झाय, ध्यानी निर्ग्रन्थ सज्झाय, द्वादशांग एवं चौदह पूर्व सज्झाय, उपदेश पद, हीयाली आदि कुल २३ रचनायें हैं जो उपदेशपरक साहित्य के अन्तर्गत रखी जाती हैं।
आप द्वारा प्रतिष्ठापित कुछ लेख भी मिले हैं जो वि०सं० १७८४ और १७९४ के बीच के हैं। इनमें से १७८४ का एक लेख शांतिनाथ जिनालय, शांतिनाथ पोल अहमदाबाद में प्रतिष्ठापित सहस्रफणा पार्श्वनाथ की प्रतिमा का है तथा शेष लेख शत्रुजय के हैं।
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खरतरगच्छ का इतिहास, प्रथम-खण्ड
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