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आचार्य श्री जिनलाभसूरि
आचार्य श्री जिनभक्तिसूरि के पट्ट पर श्री जिनलाभसूरि आरूढ़ हुए। ये बीकानेर निवासी बोहित्थरा गोत्रीय साह पंचायणदास के पुत्र थे। पद्मादेवी इनकी माता थीं। आपका जन्म सं० १७८४ श्रावण शुक्ला पंचमी को बापेऊ ग्राम में हुआ था। जन्म नाम लालचन्द्र था। इन्होंने सं० १७९६१ ज्येष्ठ सुदि षष्ठी को जैसलमेर में दीक्षा ग्रहण की। दीक्षा नाम लक्ष्मीलाभ रखा गया। सं० १८०४ ज्येष्ठ सुदि पंचमी को मांडवीबंदर में आपकी पद स्थापना हुई, जिसका पाट महोत्सव छाजहड़ गोत्रीय साह भोजराज ने किया था। सं० १८०४ का चातुर्मास भुज में किया। वहाँ फाल्गुन सुदि १ को दीक्षा महोत्सव हुआ। धर्म नंदी में १५ दीक्षाएँ हुईं। सं० १८०५ का चातुर्मास मांडवी में करके पौष वदि १ में ५ दीक्षाएँ दीं। फाल्गुन वदि ७ को चीतलवाणा में २ और वदि ९ को कैरिया में ६ दीक्षाएँ हुईं। वहाँ से विहार कर देवीकोट पधारे। वहाँ सं० १८०६ वैशाख वदि ९ को ५ दीक्षाएँ तथा वैशाख सुदि १ को जैसलमेर में १० दीक्षाएँ हुईं। कुल मिलाकर धर्म नंदी में ४३ दीक्षाएँ हुईं। ___सं० १८०६ माघ वदि ७ को जैसलमेर में शील नंदी में ११ और सं० १८०७ मिगसर सुदि ७ को वहीं ७ दीक्षाएँ दीं।
सं० १८०८ ज्येष्ठ सुदि ३ को जैसलमेर में दत्त नंदी में १७ दीक्षाएँ दीं।
सं० १८०९ में विनय नंदी में पौष सुदि १२ को ३ व माघ सुदि १० को देवीकोट में ५ दीक्षाएँ हुईं। सं० १८१० वैशाख वदि १३ को जूना बहिलवा में १३ दीक्षाएँ हुईं। वैशाख सुदि २ को रुचि नंदी में नवा बहिलवा में १३ दीक्षाएँ दीं। वहाँ से बीकानेर पधारे।
सं० १८१० आषाढ़ वदि ७ को राज नंदी में १९ दीक्षाएँ हुईं। फाल्गुन वदि ३ को शेखर नंदी में ४ दीक्षाएँ हुईं। सं० १८११ ज्येष्ठ वदि १० को १२ तथा आषाढ़ में ४ दीक्षाएँ हुईं।
सं० १८१२ में बीकानेर में फाल्गुन सुदि २ को कमल नंदी में १८ दीक्षाएँ हुईं।
सं० १८१३ में माघ वदि ९ को सुन्दर नंदी में बीकानेर में ही ३१ दीक्षाएँ सम्पन्न हुईं। सं० १८१४ तक बीकानेर में चातुर्मास कर सं० १८१५ में गारबदेसर शहर में चातुर्मास हेतु विराजे। मिगसर वदि ५ को नाथूसर में कल्याण नंदी स्थापित की और ७ दीक्षाएँ दीं। चैत्र वदि १ को कातर में ५, सं० १८१६ में वैशाख वदि ३ को फलौदी में १ दीक्षा देकर आषाढ़ वदि २ को जैसलमेर में १४ दीक्षाएँ दीं।
सं० १८१६ फाल्गुन सुदि ३ को कुमार नंदी में १६ लोगों को दीक्षित किया। सं० १६१८ में धीर नंदी में माघ सुदि ४ को ८, सं० १८१९ वैशाख वदि १३ को बाड़मेर में ७ दीक्षाएँ देकर,
१. दीक्षा नंदी सूची के अनुसार सं० १७९५ माघ सुदि १३ को बीकानेर में दीक्षा हुई।
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खरतरगच्छ का इतिहास, प्रथम-खण्ड
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