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साहित्य में निबद्ध किया है। उनमें सर्वाधिक ग्रन्थ महोपाध्याय समयसुन्दर एवं चिदानन्द के प्राप्त हुए हैं। कतिपय महत्त्वपूर्ण ग्रन्थों के नाम इस प्रकार हैं-आचार्य वर्धमानसूरि का आचार-दिनकर, जिनप्रभसूरि रचित विधि-मार्ग-प्रपा, उपाध्याय गुणविनय कृत कुमतिमत-खंडन, महोपाध्याय समयसुन्दर कृत विचारशतक, विशेष-शतक, विशेष-संग्रह, विसंवाद-शतक, समाचारी-शतक, उपाध्याय देवचन्द्र कृत विचाररत्नसार, जिनमणिसागरसूरि कृत मुंहपति-निर्णय, पर्युषणा-निर्णय, बालचन्द्रसूरि कृत निर्णय-प्रभाकर चिदानन्द कृत आत्मभ्रमोच्छेदन-भानु, कुमतकुलिंगोच्छेदन-भास्कर, जिनाज्ञाविधिप्रकाश आदि।
(४) योग एवं ध्यानपरक साहित्य :-इस सन्दर्भ में खरतरगच्छाचार्यों का विस्तृत साहित्य अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है। जो प्राप्त हुआ है, उसमें उपाध्याय मेरुसुन्दर कृत योगप्रकाश-बालावबोध, योगशास्त्र बालावबोध, उपाध्याय शिवनिधान कृत योगशास्त्र स्तबक और सुगनचन्द्र कृत ध्यानशतक बालावबोध के नाम उल्लेखनीय हैं।
(५) दर्शन एवं न्याय-साहित्य :-खरतरगच्छ में अनेक तत्त्व-चिन्तक, दार्शनिक एवं न्यायपरक प्रतिभा के धनी महापुरुष हुए हैं। दर्शन एवं न्याय के दुरूह से दुरूह विषयों को खरतरगच्छाचार्यों ने शीघ्रबोधगम्य बनाने का प्रयास किया। उन्होंने अपनी मौलिक दृष्टियाँ भी प्रदान की है। यहाँ हम कतिपय विशिष्ट ग्रन्थों का उल्लेख कर रहे हैं
आचार्य जिनेश्वरसूरि कृत प्रमालक्ष्म, देवभद्रसूरि कृत प्रमाण-प्रकाश, जिनप्रबोधसूरि कृत पंजिकाप्रबोध, सोमतिलकसूरि कृत षड्दर्शन समुच्चय टीका, दयारत्न कृत न्यायरत्नावली, सुमतिसागर कृत तत्त्वचिन्तामणि टिप्पणक, गुणरत्न कृत तर्कभाषा-प्रकाश, तर्कतरंगिणी, उपाध्याय समयसुन्दर कृत मङ्गलवाद, चारित्रनन्दी कृत स्याद्वाद-पुष्प-कलिका-स्वोपज्ञ-टीका।
(६) व्याकरण-साहित्य :-व्याकरण पर पचासों खरतरगच्छीय विद्वानों ने अपनी कलम चलाई है। खरतरगच्छ में अनेकानेक उद्भट वैयाकरण पंडित हुए हैं। आचार्य बुद्धिसागरसूरि ने तो पाणिनी और हेमचन्द्र की तरह स्वतन्त्र संस्कृत-व्याकरण परिगुम्फित किया था। अन्य भी अनेक छोटे-बड़े व्याकरणग्रन्थ लिखे गये। यथा-बुद्धिसागरसूरि कृत शब्द-लक्ष्म-लक्षण, मन्त्रिमण्डन कृत उपसर्गमण्डन, सारस्वतमण्डन, जिनचन्द्रसूरि कृत सिद्धान्तरनिका, हैमलिङ्गानुशासन-अवचूर्णि, उपाध्याय श्रीवल्लभ कृत सिद्धहेमशब्दानुशासन टीका, विमलकीर्ति कृत पद-व्यवस्था, सहजकीर्ति कृत ऋजुप्राज्ञव्याकरण, साधुसुन्दर कृत धातुरत्नाकर-क्रियाकल्पलता, विशालकीर्ति कृत प्रक्रियाकौमुदी टीका, तिलक गणि कृात प्राकृतशब्दसमुच्चय, भक्तिलाभ कृत बालशिक्षा-व्याकरण, ज्ञानतिलक कृत सिद्धान्तचन्द्रिका टीका, जिनहेमसूरि कृत सिद्धान्त-रत्नावली।
(७) कोष-साहित्य :-कोष-साहित्य में सहजकीर्ति कृत सिद्ध शब्दार्णव-नामकोष, साधुसुन्दर कृत शब्दरत्नाकर, साधुकीर्ति कृत विशेष नाममाला और चारित्रसिंह कृत अभिधान चिन्तामणि नाममाला आदि नाम उल्लेखनीय हैं। खरतरगच्छीय विद्वानों ने विभिन्न कोशों पर टीका-ग्रन्थ भी लिखे हैं। उल्लेखनीय (१२)
भूमिका
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