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________________ ७. शान्तिनाथः सम्वत् १३३७ ज्येष्ठ वदि ५ श्रीशान्तिनाथबिम्बं श्रीजिनप्रबोधसूरिभिः प्रतिष्ठितं कारितं च उकेशवंशीय सा० शोलापुत्र सा० रत्नसिंह श्रावकेण आत्मश्रेयो निमित्तं ॥ ७. शत्रुजयगिरिराज दर्शन, लेखांक १२३, देरी नं० ९२/५ खरतरवसही परिकर, शत्रुजय ८. मुनिसुव्रतः सम्वत् १३३७ ज्येष्ठ वदि ५ श्रीमुनिसुव्रतस्वामिबिम्बं श्रीजिनेश्वरसूरिशिष्यैः श्रीजिनप्रबोधसूरिभिः प्रतिष्ठितं कारितं च श्रेष्ठि रोहड सुतेन वासुजातिइकेन........ गोधिकेन स्वश्रेयोर्थं ॥ ८. शश्रृंजयगिरिराज दर्शन, लेखांक १२०, खरतरवसही समवसरण/१०६, खरतरवसही परिकर, शत्रुजय ९. शान्तिनाथः सम्वत् १३३७ ज्येष्ठ वदि ५ श्रीशान्तिनाथदेवबिम्बं श्रीजिनप्रबोधसूरिभिः प्रतिष्ठितं गोर्जरजातीय ठ० श्री भीमसिंह बृहत्भ्रातृ श्रेयोर्थं ठकर श्री उदयदेवेन प्रतिपन्नसारेण सुविचारेण कारितं ॥ ९. शत्रुजयगिरिराज दर्शन, लेखांक १२१, खरतरवसही समवसरण १ परिकर, शधुंजय समकालीन रचनाकारविवेकसमुद्रोपाध्याय पुण्यसारकथानक, नरवर्मचरित्र सोममूर्ति जिनेश्वरसूरिविवाहलो, निर्वाण लीलावती का संशोधन जगडू सम्यक्त्वमाइ चौपाई खरतरगच्छ का इतिहास, प्रथम-खण्ड (१४८) ___Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002594
Book TitleKhartar Gacchha ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages596
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size16 MB
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