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________________ ४. पंचतीर्थी सं० १३०५ आषाढ़ सुदि १३ (१०) श्रीजिनपतिसूरिशिष्य श्रीजिनेश्वरसूरिभिः श्री अमरनाथ (अरनाथ) प्रतिष्ठिता साक० लोलू श्रावकेण कारिता ॥ [नाहटा, पूर्वोक्त लेखांक १४३] ५. संवत् १३०५ आषाढ़ सुदि १० श्री ऋषभराज प्रतिमा श्री जिन .....तिसूरि शिष्यैः श्री जिनेश्वर सूरिभिः प्रतिष्ठिताः। सा०.........श्रावकेण कारिताः । [घोघा, नवखण्डा पार्श्वनाथ मंदिर ] ६. संवत् १३०५ आषाढ़ सुदि १० श्री ऋषभनाथ प्रतिमा श्री जिन.. .. (लौ) लू श्री वकणकारिता ॥ जिनेसरसूरिभिः प्रतिष्ठित । सा०..... [ घोघा, नवखण्डा पार्श्वनाथ मंदिर ] ७. नेमिनाथ ॥ अर्हं ॥ संवत् १३१० वैशाख सुदि १३ श्रीनेमिनाथप्रतिमा श्रीजिनपतिसूरिशिष्यैः श्रीजिनेश्वरसूरिभिः प्रतिष्ठिता श्री जावालिपुरे श्रीमहावीरविधिचैत्ये कारिता गोष्ठिक राजासुत हीरामोल्हा- मनोरथ श्रावकैः सत्परिकरश्च हीराभर्या धनदेवही मोल्हाभार्या कामदेवही श्रेयोर्थं कारितः । [जिनहरिसागरसूरि लेखसंग्रह, अप्रका०, पार्श्वनाथ मंदिर, जालौर ] (१३८) Jain Education International 2010_04 .. ति सूरि शिष्य श्री For Private & Personal Use Only 蛋蛋 खरतरगच्छ का इतिहास, प्रथम खण्ड www.jainelibrary.org
SR No.002594
Book TitleKhartar Gacchha ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages596
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size16 MB
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