________________
(७) सप्तभाषी आत्मसिद्धि
107
SAPTABHASHI ATMASIDDHI
na,
int, &moreोप, ताल, ni ले ५.१..
ORIGINAL AUTHOR'S
कर्ताकृति
GUJARATI
१. गजराती | ति, वेषनो मेहन, यो मार्ग होय;
સાધે તે મુક્તિ લહે, એમાં ભેદ ન કોય. ૧૦૭
२. संस्कृत
SANSKRIT
३. हिन्दी
HINDI
जातेर्वेषस्य नो भेदो यदि स्यादुक्तमार्गता। तां तु यः साधयेत् सद्यो न काचित् तत्र भिन्नता ॥१०७॥ जाति-भेष को भेद ना कह्यो मार्ग जो होय | साधे सो मुक्ति लहे, यामें फेर न कोय ||१०७|| जातिचा वेषाचा, भेद न मुळि उक्त मोक्ष मार्गात। जो साधी त्या मिळतो वा किंचित् मुळि न भिन्नता त्यात ॥१०७॥
४. मराठी
MARATHI
५. बंगला
BENGALI
| জাতি বেশের ভেদ নাই, কথিত মার্গ যদি হয়। সাধনা করিলে মুক্তি পাবে, এতে কোনো ভেদ নয় ॥ ১০৭ ॥
६. कन्नड़
ಜಾತಿ ವೇಷ್ನೋ ಭೇದ್ ನಹಿ, ಕಹೋ ಮಾರ್ಗ್ ಜೋ ಹೋಮ್ || KANNADA ಸಾಧೆ ತೇ ಮುಕ್ತಿಲಹೇ, ಏಮಾಂ ಭೇದ್ ನ ಕೋಯ್ 111071
७. अंग्रेजी
ENGLISH
Look not to caste-or garb-distinction, The path aforesaid is essential; Whoever takes it gets Liberation, No distinction in status final. 107
•जिनभारती •JINA-BHARATI .
Jain Education Interational 2010_04
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org