________________
७४
१२८५० "
३८०० "
सूत्रकृतांगविवरण शान्तिसूरि (११वीं शती) उत्तराध्ययनटीका द्रोणसूरि (११-१२वीं शती) ओघनियुक्ति वृत्ति अभयदेव (१२वीं शती) स्थानांग वृत्ति ।
१४२५० " समवायांग वृत्ति
३२७५ " व्याख्या प्रज्ञप्ति वृत्ति
१८६१६ " ज्ञाता धर्मकथा विवरण उपासक दशांग वृत्ति अन्त:कृद्दशांगवृत्ति अनुत्तरौपपातिक दशावृत्ति प्रश्न व्याकरण वृत्ति विपाक वृत्ति
औपपातिकवृत्ति मलयगिरि(११-१२वीं शती) भगवतीसूत्र-द्वितीय शतकवृत्ति ३७५० राजप्रश्नोपांगटीका
३७०० जीवाभिगमोपांगटीका १६००० प्रज्ञापनोपांगटीका चन्द्रप्रज्ञप्त्युपांगटीका ९५०० सूर्यप्रज्ञप्तिटीका
९५०० नन्दसूत्रटीका
७७३२ व्यवहारसूत्रवृत्ति
३४००० बृहत्पकल्पपीठिकावृत्ति (अपूर्ण) ४६०० आवश्यकवृत्ति (अपूर्ण)
१८००० पिण्डनियुक्तिटीका
६७०० ज्योतिष्करण्डकटीका धर्मसंग्रहणीवृत्ति कर्मप्रकृतिवृत्ति पंचसंग्रहवृत्ति षडशीतिवृत्ति
१६०००
w ०
५०००
१०००
८०००
१८८५०
२००० "
Jain Education International 2010_04
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org