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________________ धन्यवाद अने आभार जैनतर्कशास्त्रना अतिमहत्त्वना आ ग्रन्थरत्न श्री द्वादशारनयचक्रनो प्रथमभाग प्रकाशित कर्या पछी लगभग बे वर्षे आ द्वितीय भाग वांचकोना करकमलोमां सादर समर्पित थाय छे. प्रथम भागनी जेम आ द्वितीय भागने पण उंचा लेझर पेपरमां सुघड खच्छ अने शुद्ध मुद्रणपूर्वक तैयार करवामां आव्यो छे. मोघवारीये तो माझा मूकी छे. ग्रन्थमुद्रणमां वपराता कागळो विगेरे साधनोना भावो, कल्पनामां पण न आवे तेवी उंची सपाटीये रोज-ब-रोज, वधताज जाय छे. प्रथमभाग करतां पण आ भागना मुद्रणमां, आ कारणे घणोज व्यय करवो पड्यो छे. आ भागना मुद्रण कार्य माटे जे उदारचित्त श्रुतभक्त सज्जनोए, श्रुतभक्तिना अमारा आ महान अने पुनीत कार्यमा साहाय्य करी छे, तेमनां शुभनामो आ नीचे आपीने अमे तेमने आभारपूर्वक धन्यवाद आपीये छीये. साहाय्य आपवा माटे प्रेरणा आपनार पू. गुरुभक्त श्रुतप्रेमी उपाध्यायजी श्रीमद् जयंत विजयजी गणिवरनो पण अनेकशः उपकार अमे मानीये छीये. साहाय्यक सजनोनां शुभनामो आ प्रमाणे छे. २१०० पूना लश्कर जैन श्रीसंघतरफथी. वासुपूज्यस्वामी टेम्पलट्रस्टना ट्रस्टीओ पूना केम्प (ज्ञानद्रव्यनी उपजमांथी) २००० कराड जैनसंघ कराड (ज्ञानद्रव्यनी उपजमांथी) ५०० शा. कान्तीलाल अमृतलाल हाः रुखीबहेन मुरबाड (पू. साध्वीजीश्रीमंजुलाश्रीजी नी प्रेरणाथी, दीक्षाग्रहणनिमित्ते) २०० चंपाबाई भ्र. अंबालाल नानचंद करमाला (पू. सा. श्रीमंजुलाश्रीजी नी प्रेरणाथी) वांचको यथायोग्य लाभ लई सौनो परिश्रम सफल करे. -प्रकाशक Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002585
Book TitleDvadasharnaychakram Part 2
Original Sutra AuthorMallavadi Kshamashraman
AuthorLabdhisuri
PublisherChandulal Jamnadas Shah
Publication Year1951
Total Pages350
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size25 MB
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