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धन्य वा द अने आ भार
श्रीद्वादशारनयचक्र-सटीक जेवा विशालकाय ग्रन्थरत्नना प्रकाशननी अमारी योजनानी जाण थतां, तेना प्रकाशन माटे आवश्यक द्रव्यसाहाय्य करी, अमारी योजनाने तात्कालिक मूर्त खरूप आपवानो अमारो उत्साह वधारी, श्रुतज्ञाननी आराधनाना सहभागी थनारा पुण्यवानोनी शुभ नामावली आ नीचे आपीने अमे कृतार्थता अनुभवीये छीए. अमने मळेली साहाय्य आ प्रकाश्यमान एक भाग पूरती ज नथी, पण समग्र ग्रन्थना प्रकाशनने अंगे छे. हजी पण वधती जती मुद्रणसाधनोनी मोघवारीमां, आ साहाय्य आ एक भागने माटे पण परिपूर्ण थाय तेम नथी. छतां आ ग्रन्थरत्ननुं मूल्य, पडतरथी पण घणुं ओछु राखवामां आव्यु छे. साहाय्य अर्पनार सद्गृहस्थोनां अने प्रेरणा करनार पू. गुरुभक्त उपा० श्रीजयन्तविजयजी गणिवरना अमो अत्यन्त आभारी छीये. साहाय्यकोनां शुभनामो आ प्रमाणे छः
१०३९ शेठ भाणजीभाई धरमशी शापरीया मुंबई १००१ वापी जैन पंच (ज्ञानद्रव्यनी आवकमांथी) १००१ शेठ पुनमचंदजी गुलाबचंद गुलेच्छा फलोधी (मुंबई) ७०१ दमण जैनश्री संघ ( ज्ञानद्रव्यनी आवकमांथी) ५०१ शेठ शान्तिलाल जीवणलाल अबजीभाई वढवाण शहेर ५०१ शेठ धीरजलाल अमुलखभाई कपासी चूडा (सौराष्ट्र) (ची० कीर्तिकुमार तथा ची० रजनीकान्तना श्रुताराधननिमित्ते)
-प्रकाशक
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