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सुवर्णबाहु चक्रवर्ती
पुराणपुर नगर में वज्रबाहु नाम का राजा था। उसकी रानी का नाम सुदर्शना था। एक रात रानी ने चौदह अद्भुत स्वप्न देखे ।
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प्रातः रानी ने राजा से कहा- "महाराज ! रात को मैंने अद्भुत स्वप्न देखे हैं, इनका क्या फल होगा ?"
स्वप्न सुनकर राजा ने कहा- "महारानी ! ये स्वप्न बहुत शुभ हैं। तुम किसी चक्रवर्ती पुत्र की माता बनोगी।"
समय आने पर रानी ने पुत्र को जन्म दिया। राजा ने विशाल उत्सव मनाया। भिक्षुकों को दान दिया, स्वजन-मित्रों को भोजन कराया । पुत्र का नाम 'सुवर्णबाहु' रखा।
योग्य होने पर सुवर्णबाहु का राज्याभिषेक हुआ। उसके माता-पिता ने आचार्य के पास दीक्षा धारण कर ली और संयम का पालन करने लगे।
राजा सुवर्णबाहु ने अपने प्रताप से छः खण्डों पर विजय प्राप्त की और चक्रवर्ती पद को प्राप्त किया ।
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क्षमावतार भगवान पार्श्वनाथ
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