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इन २५ वर्षों में भारत भूमि पर भी जबर्दस्त क्रान्तिकारी परिवर्तन आये। रेलवे, सड़क आदि यातायात सुविधाओं का बहुत विस्तार हुआ है। अन्य सभी प्रकार की सुविधाओं में परिवर्तन और विकास होने से २५ वर्ष में लगभग सभी कुछ बदल-सा गया है। अनेक नये मार्ग बन गये। रेलवे स्टेशन नये बने हैं। डाकखाना, टेलीफोन आदि साधन भी विकसित हो गये और तीर्थ क्षेत्रों में आवास आदि की सुविधाओं पर भी आधुनिक सभ्यता का सीधा प्रभाव पड़ा है। मनुष्य ज्यों-ज्यों सुविधा भोगी बना है, त्यों-त्यों सुविधा-साधनों का बहुत अधिक विस्तार हो गया है। अब तीर्थयात्रा करना इतना कठिन नहीं रहा । अपितु अनेक तीर्थ क्षेत्र तो पर्यटन की दृष्टि से भी भारत के नक्शे पर विकसित हुए हैं । परिवर्तनशील समय में जब एक वर्ष पुरानी जानकारियाँ भी पुरानी पड़ जाती हैं । तीर्थयात्रियों को नवीनतम जानकारी उपलब्ध कराना बहुत आवश्यक है। ताकि उनकी तीर्थयात्रा सुगम व सहज आनन्ददायी हो सके।
कई बार यात्री एक सड़क मार्ग से निकलते हुए जब एक तीर्थ से दूसरे तीर्थ पर पहुँचते हैं, तो पता चलता है, इस मार्ग के बीच में अनेक तीर्थ छूट गये। रास्ते में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर अनेक दर्शनीय तथा प्रभावक तीर्थ आये हैं जो रह गये। यदि उन्हें पहले से ही जानकारी होती तो वे उन तीर्थ क्षेत्रों की यात्रा कर लेते।
विदेशों से भारत में जो पर्यटक आते हैं वे भारत भूमि पर उतरते ही या उससे पहले ही पर्यटन स्थानों के विषय पूरी जानकारी प्राप्त कर लेते हैं और 'गाइड बुक' हर समय साथ रखते हैं, जिससे उनकी यात्रा में कोई दर्शनीय; रमणीय ऐतिहासिक स्थान छूटे नहीं, भारत में रहने वाले तथा विदेशों से आने वाले जैन तीर्थ यात्री भी चाहते हैं उन्हें इस प्रकार की गाइड बुक मिल जाये, जिसमें समस्त जैन तीर्थ क्षेत्रों का परिचय, रोड मेप, रेलवे मेप, एक तीर्थ से दूसरे तीर्थ की दूरी, तीर्थ क्षेत्र में वहाँ की पेढ़ी का पूरा पता, टेलीफोन नम्बर, वहाँ पर आवास, भोजन आदि की व्यवस्था आदि सम्बन्धित सही-सही समस्त जानकारी प्राप्त हो जाये, ताकि उनकी तीर्थयात्रा हर दृष्टि से स्वल्प समय में आनन्ददायी और परिपूर्ण रहे ।
देखा जाता है, कुछ प्रसिद्ध तीर्थ क्षेत्रों के विषय में भी लोगों को सही जानकारी नहीं होती । जितने लोग बताने वाले हैं, उतनी तरह की भिन्न-भिन्न बातें सुनने को मिलती हैं जिससे तीर्थयात्री को समय व श्रम तो अधिक लगाना पड़ता ही है, फिर भी यात्रा में कुछ न कुछ तीर्थ क्षेत्र, कुछ दर्शनीय मन्दिर व अन्य महत्त्वपूर्ण चीजें छूट जाती हैं।
कुछ वर्ष पूर्व मेरी पूज्य माताजी सौ. लीलादेवी सुराना ने तीर्थयात्रा की अनेक पुस्तकें मँगाई और उनकी जानकारी ली, फिर भी जब तीर्थयात्रा पर निकलीं तो बहुत सी जानकारियाँ और सूचनाएँ गलत और कुछ अधूरी निकलीं। उन्होंने मुझे प्रेरणा दी, कि एक ऐसी पुस्तक तैयार करनी चाहिए, जिसमें भारत के समस्त जैन तीर्थों की सम्पूर्ण और सही-सही जानकारी प्राप्त हो सके। पूज्य माँ की प्रेरणा से मैंने यह कार्य करने का संकल्प किया। जैन तीर्थों के सम्बन्ध
छपी हुई प्राचीन, नवीन अनेक पुस्तकें मँगाई, भारत सरकार के पर्यटन विभाग की गाइड, प्रामाणिक रोडमेप आदि आधुनिकतम प्राप्त स्रोतों से भी पर्याप्त नवीन तथा प्रामाणिक जानकारी का संकलन किया। इसी के साथ देश के प्रायः सभी श्वेताम्बर, दिगम्बर तीर्थ क्षेत्रों की पेढ़ियों को व्यक्तिगत पत्र व उनके साथ जानकारी के छपे फार्म भेजे। इस प्रकार विविध स्रोतों से जो सूचनाएँ मिलीं वे पुरानी सूचनाओं से काफी भिन्न और अधिक प्रामाणिक थी । मेरा प्रयत्न रहा है कि समस्त जैन तीर्थों के सम्बन्ध में प्राप्त जानकारी और प्रमुख - प्रमुख मन्दिरों के चित्र तथा प्रत्येक प्रदेश का स्वतन्त्र रोड मेप आदि देकर इसे अधिक से अधिक सुगम और परिपूर्ण बनाया जाये। प्राचीन तीर्थ क्षेत्रों के साथ ही दक्षिण भारत के अनेक नवीन जैन तीर्थों की जानकारी भी पहली बार एक साथ एक स्थान पर प्रकाशित की जा रही है । इस कार्य में लगभग ३ वर्ष का समय लगा है। नक्शे की ड्राफ्टिंग करने में मेरी धर्मपत्नी सौ. सुषमा ने भी बहुत परिश्रम किया है तथा जानकारी जुटाने व इस पुस्तक को अधिक व्यापक व उपयोगी बनाने में श्री निर्मल जी लोढ़ा हार्दिक सहयोग किया है।
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भरपूर
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