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________________ मेरे पूज्य पिता श्रीचन्द जी सुराना 'सरस' से समय-समय पर उपयुक्त मार्गदर्शन और परामर्श मिलता रहा है। पूज्य आचार्य भगवंतों ने आशीर्वचन प्रदान कर मुझे उत्साहित किया है तथा अनेक तीर्थ क्षेत्र पेढ़ियों ने व व्यापारिक प्रतिष्ठानों ने सहयोग देकर इस कार्य को पूर्ण सहयोग प्रदान किया है। मैं उन सबका आभारी हूँ। ___ मैं अपने सभी सहयोगी महानुभावों का जिन्होंने विभिन्न पेढ़ियों से हमें नवीनतम जानकारी प्रदान की, हार्दिक आभार प्रगट करता हूँ। साथ ही इण्डियन मेप सर्विसेज, जोधपुर के श्रीमान् आर. पी. आर्या जी का विशेष आभार मानता हूँ जिन्होंने इस कार्य हेतु राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात एवं Road Distance Guide की प्रतियाँ अपनी ओर से सहायतार्थ हमें भेजीं। जिनकी सहायता से हम नवीनतम एवं सही जानकारी प्राप्त करने में सफल रहे। इस कार्य से जुड़े सभी गणमान्य व्यक्ति विशेष अभिनन्दन के पात्र हैं जिन्होंने किसी न किसी प्रकार से पूर्ण करने में सहयोग प्रदान किया है। मैं प्रयत्न करता रहूँगा कि तीर्थ क्षेत्रों की नवीन-नवीन सूचनाएँ एकत्र कर प्रतिवर्ष नये संस्करण में उनको जोड़ दिया जाये, ताकि तीर्थयात्रियों को कम से कम कठिनाई का अनुभव हो। ___ वे सभी पाठक, जो तीर्थ यात्रा पर जा रहे हैं, या जाने का मन बना रहे हैं इस पुस्तक को 'गाइड' मानकर हर समय अपने साथ रखें, तो उन्हें काफी सहयोग मिलेगा तथा जो यात्रा कर चुके हैं वे भी अपना सुझाव या कोई नई सूचनाएँ हो तो निःसंकोच भेजें। जिसे नवीन संस्करण में सम्मिलित किया जा सकेगा। आप सबके सहयोग के प्रति पुनः हार्दिक कृतज्ञता ! -राजेश सुराना दिवाकर टैक्स्टोग्राफिक्स ए-७, अवागढ़ हाउस, एम. जी. रोड, आगरा VI Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002578
Book TitleJain Tirth Parichayika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year2004
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size14 MB
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