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मध्य प्रदेश
जैन तीर्थ परिचायिका
घटनाएँ घटने के प्रमाण मिलते हैं। श्री पार्श्वप्रभु की प्रतिमा अलौकिक व कलात्मक है। प्रतिमा की हस्तमुद्रा के नीचे दो सर्प बने हैं जो अपने आपमें अद्वितीय है। 11वीं सदी का
पूर्ण परिकर कलात्मक प्रस्तरखण्ड आदि दर्शनीय हैं। ठहरने की व्यवस्था : मन्दिर के पास धर्मशाला है जहाँ पानी, बर्तन व बिजली की सुविधा
उपलब्ध है। उज्जैन में अनेकों धर्मशालाएँ हैं।
श्री उन्हेल तीर्थ
पेढ़ी: श्री पार्श्वनाथ जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ की पेढ़ी जिला उज्जैन-456 221 फोन : 07366-20258,
20237
मूलनायक : श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ भगवान, पद्मासनस्थ। मार्गदर्शन : यह तीर्थ उन्हेल नगर के मध्य जैन मन्दिर गली में स्थित है। यहाँ से उन्हेल रेल्वे
स्टेशन 9 कि.मी. दूर है जहाँ पर टैम्पो का साधन उपलब्ध है। यह उज्जैन से व्हाया भेरूगढ लगभग 30 कि.मी. दूर है। नागदा जंक्शन से उन्हेल 22 कि.मी. दूर स्थित है। यहाँ से प्रत्येक 15 से 20 मिनट पर उज्जैन-नागदा जंक्शन एवं जावरा के लिए नियमित बस सेवा उपलब्ध है। उज्जैन अवन्ति पार्श्वनाथ 30 कि.मी. तथा नागेश्वर तीर्थ (राजस्थान) यहाँ से 75 कि.मी.
परिचय : जब नागदा में श्री जन्मेजय ने नाग यज्ञ किया था उस समय चारों दिशाओं में तोरण
द्वार बांधे गये थे तब एक तोरण इस स्थान पर भी बाँधा गया था। और यहाँ नगर बस जाने के परिणामस्वरूप इसका नाम तोरण पड़ गया था। वर्तमान नाम मुसलमान काल में परिवर्तित किया गया होगा ऐसा प्रतीत होता है। प्रतिमा की कलाकृति व मन्दिर में उपलब्ध 10वीं व 11वीं सदी के अवशेषों से यह प्रमाणित होता है कि यह तीर्थ दसवीं सदी पूर्व का है। इस तीर्थ का अन्तिम जीर्णोद्धार विक्रम सं.1700 में उन्हेल श्रीसंघ द्वारा करवाया गया था। यहाँ पर अनेकों तरह की चमत्कारिक घटनाएँ घटने के संकेत मिलते हैं। यहाँ प्रतिमा जी कामितपूरण श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ के नाम से भी पुकारी जाती है। प्रभु प्रतिमा की कला अद्वितीय है। सप्त-फणों के साथ दोनों ओर इन्द्र महाराज की प्रतिमाएँ हैं जो संभवत: अन्यत्र नहीं है। वर्तमान में मन्दिर का जीर्णोद्धार चालू है। पूजा का समय प्रातः 9 से 4 बजे
तक है। ठहरने की व्यवस्था : मन्दिर के निकट ही धर्मशाला है। निकट ही बाजार है। पूर्व सूचना देने
पर यहाँ भोजन एवं भाता की व्यवस्था हो जाती है।
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