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________________ जैन तीर्थ परिचायिका मध्य प्रदेश मूलनायक : श्री आदीश्वर भगवान, पद्मासनस्थ। जिला रतलाम मार्गदर्शन : यह बिम्बडोद गाँव के पास स्थित है जो कि केशरियाजी के मन्दिर के नाम से भी | श्री बिम्बडोद तीर्थ प्रचलित है। यह रतलाम से 8 कि.मी. दूर स्थित है जहाँ से बस, टैक्सी, ताँगों इत्यादि की सुविधाएँ उपलब्ध हैं। तीर्थ स्थान तक पक्की सड़क है। रतलाम, उज्जैन से 102 कि.मी. दूरी पेढ़ी : पर है। रेल्वे मार्ग द्वारा रतलाम गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों से संपर्क श्री जैन श्वेताम्बर में है। प्रमुख स्टेशन होने के कारण यहाँ बस, टैक्सी, टैम्पो आदि सभी सवारी साधन मूर्तिपूजक जिनालय उपलब्ध हो जाते हैं। इन्दौर, उज्जैन, मन्दसौर आदि से यहाँ के लिए नियमित बस सेवाएँ मल्लिनाथ ट्रस्ट बोर्ड उपलब्ध हैं। मोती पूज्यजी का मन्दिर, परिचय : प्रतिमा की कलात्मक आकृति के दर्शन से ही यह प्रतीत होता है कि यह तीर्थ अति चौमुखीपुल, प्राचीन है। प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभदेव प्रभु की इतनी सुन्दर, भव्य व शान्त, बालू की बनी बिम्बडोद ग्राम प्रतिमा का अन्यत्र देखना दुर्लभ है। यहाँ हर वर्ष पौष व दशमी से अमावस तक मेला लगता डाकघर रतलाम है। यहाँ इस मन्दिर के अतिरिक्त और पाँच मन्दिर हैं। यहाँ का वातावरण अति मनोरम प्रतीत (मध्य प्रदेश) है। प्रभु प्रतिमा की कला विशिष्ट है। ठहरने की व्यवस्था : यहाँ पर एक विशाल धर्मशाला है, जहाँ पानी, बिजली, बर्तन व ओढ़ने बिछाने के वस्त्रों की सुविधाएँ उपलब्ध हैं। मूलनायक : श्री सुपार्श्वनाथ भगवान, पद्मासनस्थ। जिला शाजापुर मार्गदर्शन : यह तीर्थ ग्राम मक्सी के अन्तर्गत सुरम्य सरोवर के तट पर स्थित है। मक्सी गाँव , श्री मक्सी तीर्थ मम्बई-आगरा मार्ग पर उज्जैन से 38 कि.मी. व देवास से 32 कि.मी. है। मक्सी रेल्वे स्टेशन से मन्दिर 1.5 कि.मी. दूर है जहाँ से टैक्सी व तांगे की सुविधा सुबह से सायं उपलब्ध है। पेढ़ी : मन्दिर तक पक्की सड़क है। रात्रि में स्टेशन पर सवारी साधन अत्यंत कठिनाई से उपलब्ध हो पाते हैं। इन्दौर से यह तीर्थ 70 कि.मी. दूर है। शाजापुर यहाँ से 25 कि.मी. दूर है। मुख्य १. श्री आनन्दजी राज मार्ग पर होने के कारण तीर्थ पर बसों का निरन्तर आवागमन रहता है। यहाँ से पुष्पगिरि ___कल्याणजी पेढ़ी जैन श्वेताम्बर मन्दिर तीर्थ 70 कि.मी. गोम्मटगिरी-इन्दौर 78 कि.मी. तथा बनेडियाजी 78 कि.मी. दूर हैं। मक्सी २. श्री दिगम्बर जैन से उज्जैन इन्दौर, गुना, ग्वालियर के लिए प्रत्येक 10 मिनट में बसें उपलब्ध रहती हैं। अतिशय क्षेत्र मक्सी परिचय : इस प्रभु प्रतिमा का इतिहास अति प्राचीन बताया जाता है। बडीयार देश के लीलाड़ा ग्राम व पोस्ट मक्सी, गाँव निवासी माण्डवगढ़ के खजाँची श्री संग्राम सोनी ने वि.सं. 1472 में इस मन्दिर का जिला शाजापुर निर्माण करवाया था व प्रतिष्ठा आचार्य श्री सोमसुन्दरसूरीश्वरजी के सुहस्ते सम्पन्न हुई थी। (मध्य प्रदेश) एक और मतानुसार मन्दिर अति प्राचीन बताया जाने के कारण हो सकता है खजांची संग्राम फोन : 07363-32028, सोनी ने इस मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया हो। यहाँ पर चमत्कारिक घटनाओं की अनेकों 32214 किंवदन्तियाँ प्रचलित हैं। कहा जाता है कि एक समय प्रभु के छत्र-धारक श्री धरणेन्द्र देव ने अपने फणों से दुग्ध धारा बहायी थी जिससे मन्दिर के मूल स्थान में दूध भर गया था। श्वेताम्बर व दिगम्बर बंधुगण अपनी-अपनी विधिपूर्वक बनाये हुए नियमानुसार पूजा करते हैं। वर्तमान में इसके निकट ही एक और दिगम्बर मन्दिर विद्यमान है। उसके मूलनायक श्री सुपार्श्वनाथ भगवान है। प्रभु प्रतिमा का शिल्प सौन्दर्य यात्रीगणों को निरन्तर आकृष्ट करता रहता है। रंग पंचमी पर प्रत्येक वर्ष 2 दिन के मेले का आयोजन होता है। मक्सी बड़ा जैन मन्दिर में दिगम्बर आमनाय से पूजन-प्रक्षाल का समय प्रात: 6 से 9 तक नियत है। Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jaind 47y.org
SR No.002578
Book TitleJain Tirth Parichayika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year2004
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size14 MB
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