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________________ मध्य प्रदेश | श्री खजुराहो तीर्थ पेढ़ी: श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, खजुराहो डाकघर खजुराहो जिला छत्तरपुर (मध्य प्रदेश) जैन तीर्थ परिचायिका मूलनायक : श्री शान्तिनाथ भगवान, कायोत्सर्ग मुद्रा में। मार्गदर्शन : खजुराहो के लिए पूर्वी भारत से आने पर सतना होकर आना तथा उत्तर, दक्षिण एवं पश्चिम भारत से आने पर झाँसी होकर आना अत्यंत सुविधाजनक है। सतना से खजुराहो 117 कि.मी. दूर है। हरपालपुर यहां से 100 कि.मी., महोवा 63 कि.मी. व झांसी 176 कि.मी. दूर है। इन सभी स्थानों से खजुराहो के लिए नियमित बस सेवा उपलब्ध है। यह तीर्थ खुजराहो से लगभग एक किलोमीटर पूर्व की ओर खड़सदी के तट पर स्थित है। खुजराहो वायुमार्ग से भी जुड़ा है। परिचय : खजुराहो के जैन मन्दिरों का निर्माण, चन्देलों के राजत्वकाल में विक्रम की नवमी शताब्दी से लेकर बारहवीं शताब्दी तक हुआ। मूलनायक श्री शान्तिनाथ भगवान की प्रतिमा की पीठिका का संवत 1085 का लेख है। शिल्प और कला की दष्टि से खजराहो परी दनियाँ में प्रसिद्ध है। पत्थरों पर खुदी हुई यहाँ की कलात्मक प्रतिमाओं का अन्यत्र दर्शन दुर्लभ है। कुल 33 मन्दिर हैं जिनमें 22 शिखरयुक्त हैं। इस मन्दिर समूह के पश्चिम में निकट ही घण्टाई जैन मन्दिर के अवशेष हैं। उपरोक्त मन्दिरों के अतिरिक्त श्री शान्तिनाथ संग्रहालय है। उसमें अनेक सुन्दर कलाकृतियों का संग्रह है। श्री शान्तिनाथ मन्दिर अपनी विशालता, कलागत विशेषता तथा सौन्दर्य के कारण विश्व-विख्यात हैं। समूचे मन्दिर का निर्माण वास्तव में इस दक्षता के साथ हुआ है कि संभवत: स्थापत्य में इसके जोड़ की कोई रचना नहीं है, जो इस मन्दिर के अत्यन्त सुन्दर आकार और शिखरसंयोजन की सूक्ष्म विवेचना से युक्त कलागत समृद्धि की समानता कर सके। श्री शान्तिनाथ मन्दिर में भगवान शान्तिनाथ की मनोज्ञ प्रतिमा तो है ही। साथ ही साथ उसमें अन्य अनेक विशिष्ट कलाकृतियों के अतिरिक्त धरणेन्द्र-पद्मावती की एक अत्यन्त चित्ताकर्षक प्रतिमा है, जो अद्वितीय है। खजुराहो प्रमुख पर्यटन स्थल होने के कारण यहां सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हैं। मन्दिरों की इस स्थली में लक्ष्मी मन्दिर, कण्डारीय महादेव मन्दिर, जगदम्बी मन्दिर, चित्रगुप्त मन्दिर, पार्वती मन्दिर, विश्वनाथ मन्दिर, नन्दी का मन्दिर, चतुर्भुज मन्दिर, चौसठ योगिनी मन्दिर, युलादेव मन्दिर और मंतगेश्वर मन्दिर अत्यंत दर्शनीय हैं। यहां की कला और शिल्पकला का सौंदर्य मंत्रमुग्ध सा कर देते हैं। खजुराहो के निकट जबारी मन्दिर तथा वामन मन्दिर भी दर्शनीय हैं। ठहरने की व्यवस्था : मन्दिर के निकट ही धर्मशाला है जहाँ बिजली, पानी की सुविधाएँ उपलब्ध हैं। खजुराहो में अनेकों होटल, धर्मशालाएँ, गैस्ट हाउस उपलब्ध है। अनेकों रैस्टोरेंट एवं कैफे हाउस हैं। जिला दमोह मूलनायक : श्री महावीर भगवान (बड़े बाबा), पद्मासनस्थ, सिंहासनयुक्त। ही मार्गदर्शन : यह तीर्थ तलहटी में बसे हुए कुण्डलपुर गाँव से लगे हुए कुण्डलाकार पर्वत पर श्री कुण्डलपुर तीर्थ स्थित है। यह दमोह से 35 कि.मी. तथा हट्टा से 16 कि.मी. दूर है। स्टेशन से बस और पेढ़ी : टैक्सी की सुविधाएँ हैं। धर्मशाला तक पक्की सड़क है। सागर से दमोह 87 कि.मी. तथा श्री दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र जबलपुर से 106 कि.मी. दूर है। कुण्डलपुर परिचय : तीर्थ बहुत प्राचीन है जिसकी प्राचीनता का पता लगाना कठिन है। इस तीर्थ का उद्धार डाकघर कुण्डलपुर वीर निर्वाण सं. 2017 में हुआ था, ऐसा उल्लेख है। पद्मासन में इतनी प्राचीन भव्य व विशाल तहसील हटा श्री महावीर भगवान की प्रतिमा संभवतः अन्यत्र कहीं नहीं है। यह प्रतिमा बड़े बाबा के जिला दमोह (मध्य प्रदेश) नाम से जानी जाती है। इस मन्दिर के अतिरिक्त पहाड़ पर 46 और मन्दिर हैं तथा तलहटी 38 _Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002578
Book TitleJain Tirth Parichayika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year2004
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size14 MB
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