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________________ जैन तीर्थ परिचायिका मध्य प्रदेश मूलनायक : श्री पार्श्वनाथ भगवान, खड्गासन मुद्रा में। जिला छत्तरपुर मार्गदर्शन : यह तीर्थ रेषन्दीगिरि गाँव के निकट ऊँची पहाड़ी पर स्थित है। यह सागर से न 56 कि.मी. दूर है। बक्सवाहो यहाँ से 24 कि.मी. तथा शाहगढ़ 13 कि.मी. दूर है। दमोह । से बक्सवाहो 50 कि.मी. दूर है। सागर तथा दमोह दोनों स्थानों से बस व टैक्सी की सुविधा पेटी: उपलब्ध है। बांदा से यह स्थान 26 कि.मी. दूर है। टीकमगढ़ से अजनौर, घौरा, शाहगढ़ श्री सिद्ध-क्षेत्र रेषन्दी गिरि होते हुए यहाँ पहुँचा जा सकता है। तलहटी तक जाने के लिए पक्की सड़क है। तीर्थ स्थल (नैना गिरि) सागर-छत्तरपुर मार्ग पर स्थित है। डाकघर नैनागिरि जिला छत्तरपुर परिचय : यह तीर्थ पार्श्वनाथ भगवान के समय का बताया जाता है। लेकिन सदियों तक यह (मध्य प्रदेश) तीर्थ अलोप रहा व लगभग एक सौ वर्ष पूर्व चौधरी श्यामलालजी को आये स्वप्न के आधार पर इस पर्वत पर खुदाई करायी गयी। वहाँ पर एक प्राचीन मन्दिर मिला। कहा जाता है कि पार्श्वनाथ भगवान का समवसरण यहाँ भी हुआ था व समवसरण में स्थित पाँचों मुनियों की मूर्तियाँ भी इसी मन्दिर में हैं। यहाँ पर चमत्कारिक घटनाएँ भी अनेकों बार घटती रहती हैं। नदी की धारा के मध्य 50 फुट ऊँची एक पाषाण शिला है जिसे सिद्ध-शिला कहते हैं । यहाँ पर प्रति वर्ष मिगसर शुक्ला 11 से पूर्णिमा तक वार्षिक मेला होता है। इसके अतिरिक्त पहाड़ी पर 35 तलहटी में 15 मन्दिर हैं। विक्रम के 12 वीं शताब्दी की भूगर्भ से प्राप्त प्राचीन प्रतिमाएँ दर्शनीय हैं। ठहरने की व्यवस्था : तलहटी में ठहरने के लिए 3 धर्मशालाएँ हैं, जहाँ पानी, बिजली व बर्तन की सुविधाएँ हैं। मूलनायक : श्री आदीश्वर भगवान, पद्मासनस्थ। श्री द्रोणगिरि तीर्थ मार्गदर्शन : यह द्रोणगिरिसन्थप्पा नामक पहाड़ पर स्थित है। यहाँ से हरपालपुर 89 कि.मी. तथा पेढ़ी : सागर 110 कि.मी. हैं। इन स्थानों से टैक्सी और बस की सुविधाएँ उपलब्ध हैं। तलहटी श्री दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र तक पक्की सड़क है। तलहटी से पहाड़ की चढ़ाई 1.0 कि.मी. है। पहाड़ चढ़ने के लिए। द्रोणगिरि ट्रस्ट सीढ़ियाँ बनी हुई हैं। डाकघर द्रोणगिरि, परिचय : यह तीर्थ अति प्राचीन है जिसकी प्राचीनता का निश्चित पता लगाना कठिन है। यहाँ जिला छत्तरपुर पर यह किंवदन्ति भी प्रचलित है कि श्री लक्ष्मण की प्राण-रक्षा के लिए श्री हनुमान जी (मध्य प्रदेश) इसी पर्वत से संजीवनी बूटी ले गये थे। इस पहाड़ पर 27 मन्दिर और भी हैं। यहाँ एक गुफा है जिसमें मुनिवर श्री गुरुदत्तजी ने कठोर तपस्या की थी। उनकी चरण पादुकाएँ इस गुफा में विद्यमान हैं। तलहटी में दो मन्दिर हैं। विविध प्रकार की जड़ी बूटियों से युक्त इस सुरभि से सुगन्धित पर्वत पर, विभिन्न जिनालयों का अनुपम दिव्य दृश्य सुरम्य लगता है। ठहरने की व्यवस्था : तलहटी में धर्मशाला है जहाँ बिजली, पानी तथा बर्तनों की सुविधाएँ उपलब्ध हैं। Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jaire 37ary.org
SR No.002578
Book TitleJain Tirth Parichayika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year2004
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size14 MB
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