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________________ जैन तीर्थ परिचायिका उत्तर प्रदेश मूलनायक : श्री नेमिनाथ भगवान, पद्मासनस्थ। जिला आगरा मार्गदर्शन : यह तीर्थ आगरा से 71 कि.मी. शौरीपुर में आगरा-बाह मार्ग पर स्थित है। आगरा से फतेहाबाद 35 कि.मी. वहाँ से फरेरा मोड़ 30 कि.मी. तथा फरेरा मोड़ से बांयी ओर 6 कि.मी. जाने पर शौरीपुर तीर्थ आता है। शौरीपुर से 2 कि.मी. पूर्व बटेश्वर तीर्थ है। अन्य दूसरा मार्ग आगरा, फिरोजाबाद-शिकोहाबाद होते हुए बटेश्वर जाता है। इस मार्ग से यह दूरी पढ़ा, कुल 100 कि.मी. की पड़ती है। शिकोहाबाद बटेश्वर 27 कि.मी. की दरी है। श्रा शारापुर जन श्वेताम्बर तीर्थ कमेटी परिचय : यमना के तट पर स्थित यह तीर्थ 22वें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ की जन्म भूमि है। इटामिल कम्पाउन्ड वर्तमान चौबीसी के बाईसवें तीर्थंकर श्री नेमिनाथ भगवान के च्यवन व जन्म कल्याणक जीवनी मण्डी, आगरा इस पवित्र पावन भूमि में होने के कारण यहाँ की विशेष महत्ता है। इसका विशेष उल्लेख फोन : 263830, जैन श्वेताम्बरीय आगमों में एवं श्री हेमाचन्द्राचार्य रचित त्रिषष्ठि शलाका पुरुष में मिलता 261727 है। कहा जाता है कि यहाँ श्वेताम्बर समाज के सात मन्दिर थे जो काल के प्रभाव से नष्ट 2. श्री शौरीपुर - बटेश्वर हो गये। मूलनायक भगवान श्री नेमिनाथजी की श्यामवर्ण प्रतिमा जन्म कल्याणक मंदिर में दिगम्बर जैन सिद्ध विराजित है, जो बहुत ही चमत्कारिक और मनोहर है। च्यवन कल्याणक मन्दिर, दादावाड़ी, क्षेत्र कमेटी, शौरीपुर श्री नथमल जी गोलेछा के चबूतरे पर दादा कुशलसूरि जी की चरण पादुका एवं धर्मशाला डाकघर बटेश्वर, बनी हुई है। यहाँ की जलवायु अत्यन्त शुद्ध है। यहाँ प्रतिवर्ष हजारों श्रद्धालुजन यात्रार्थ आते जिला आगरा (उ. प्र.) हैं। आदि मन्दिर (बसमठ) तथा शंखध्वज जिनालय में विराजमान नेमिनाथ भगवान, ऋषभनाथ भगवान, विमलनाथ भगवान, चन्द्रप्रभु भगवान के जिनबिम्ब चित्त को भाव भक्ति से पूर्ण कर देते हैं। क्षेत्र पर उत्खनन पर प्राचीन प्रतिमाएँ प्राप्त होती रही हैं। बटेश्वर में एक दिगम्बर मन्दिर है। जहाँ मूलनायक श्री अजितनाथ भगवान हैं। बटेश्वर मन्दिर का वास्तुशिल्प प्राचीन वास्तुविज्ञान का उत्कृष्ट नमूना है। जिसकी दो मंजिलें यमना तट के नीचे व दो मन्जिल ऊपर हैं। यहाँ अजितनाथ भगवान की कृष्ण पाषाण निर्मित पद्मासनस्थ प्रतिमा विराजमान है। ठहरने की व्यवस्था : ठहरने के लिए मन्दिरों के निकट श्वेताम्बर व दिगम्बर धर्मशालाएँ हैं। पूर्व सूचना देने पर भोजन व्यवस्था हो जाती है। तीर्थ विकास हेतु यहाँ आधुनिक धर्मशाला, भोजनशाला अति शीघ्र बनाने का प्रयास हो रहा है। मूलनायक : चिन्तामणि पार्श्वनाथ भगवान, पद्मासनस्थ। श्री आगरा तीर्थ मार्गदर्शन : यह तीर्थ यमुना नदी के तट पर स्थित आगरा शहर के रोशन मोहल्ले में घनी आबादी क्षेत्र में स्थित है। आगरा फोर्ट स्टेशन से मन्दिर 1 कि.मी. दूर है। आगरा फोर्ट स्टेशन पार्किंग पेढ़ी : पर वाहन खड़े किये जाते हैं। श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ भगवान श्वेताम्बर जैन परिचय : सम्राट अकबर के समय आचार्य श्री हीरविजय सूरीश्वरजी का विक्रम सं. 1639 में यहाँ पदार्पण हुआ। आचार्य श्री के सुहस्ते उस समय विशिष्ट पाषाण की श्री चिन्तामणि मन्दिर पेढ़ी आचार्य विजयसूरीश्वरजी पार्श्वनाथ जी मूर्ति प्रतिष्ठा हुई। वर्तमान में इसके अतिरिक्त यहाँ 10 श्वेताम्बर व कई दिगम्बर मन्दिर भी हैं। शहर के बाहर आगरा-फतेहपुर सीकरी मार्ग पर शाहगंज क्षेत्र में एक विशाल का उपाश्रय, रोशन मोहल्ला, आगरा (उ. प्र.) दादावाड़ी है, जिसे श्री कुशलसूरि दादावाड़ी कहते हैं। विशिष्ठ पाषाण में निर्मित श्री चिन्तामणि पार्श्व प्रभु की प्रतिमा अति ही सुन्दर व प्रभावशाली है। ठहरने की व्यवस्था : ठहरने के लिए श्वेताम्बर धर्मशाला है। शहर में अन्य अनेकों अच्छी सुविधायुक्त धर्मशालाएँ भी उपलब्ध हैं जिनमें ठहरा जा सकता है। Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainel prary.org
SR No.002578
Book TitleJain Tirth Parichayika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year2004
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size14 MB
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