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________________ जैन तीर्थ परिचायिका | पंजाब, हिमाचल, जम्मू मूलनायक : श्री आदीश्वर भगवान, पद्मासनस्थ जटा युक्त प्रतिमा। जिला कांगड़ा मार्गदर्शन : यह तीर्थ रावि व सतलज नदी के संगम-स्थान पर कांगड़ा गाँव के बाहर सुरम्य . पहाडी पर प्राचीन दर्ग में स्थित है। बस स्टैण्ड से तीर्थ-स्थान की दूरी लगभग 4 कि.मी. श्रा कागड़ा ताथ है। मण्डी से उत्तर-पूर्व में पठानकोट से थोड़ी दूर पर है कांगड़ा। नैरो गेज रेल पठानकोट से कांगड़ा होकर 164 कि.मी. दूर योगीन्दर नगर जाती है। कांगड़ा से-धरमशाला 18, पेढ़ी : पठानकोट 86, ज्वालामुखी 36, योगीन्दरनगर 78, मण्डी 134 कि.मी. सहित उत्तर श्री श्वेताम्बर जैन कांगड़ा भारत के विभिन्न स्थानों के लिए बस सम्पर्क भी है। उत्तर भारत के विभिन्न नगरों से यह तीर्थ-यात्रा संघ पेढी, बस मार्ग से संपर्क में है। जैन धर्मशाला, कांगड़ा परिचय : यह तीर्थ क्षेत्र बाईसवें तीर्थंकर श्री नेमिनाथ भगवान के समय का है। मुनि श्री किले के सम्मुख जिनविजयजी ने आचार्य श्री विजयवल्लभ सूरीश्वरजी से जानकारी पाकर इस तीर्थ की खोज डाकघर कांगड़ा, की। प्रतिवर्ष फाल्गुन शुक्ला त्रयोदशी से पूर्णिमा तक मेला लगता है। यहाँ से हिमालय का जिला काँगड़ा प्राकृतिक दृश्य देखते ही बनता है। यहाँ के खण्डित मन्दिरों में प्राचीन कला के नमने नजर (हिमाचल प्रदेश) आते हैं। मूलनायक प्रतिमा की कला विशिष्ट शोभायमान है। यह मन्दिर पुरातत्त्व विभाग के अधीन है। कांगडा का ब्रजेश्वरी देवी का मन्दिर दर्शनीय है। कांगड़ा से 5 कि.मी. दूर मसरूर में पहाड़ को काटकर बनाया गया 15 गुफा मन्दिर भी अत्यंत दर्शनीय है। ठहरने की व्यवस्था : ठहरने के लिए किले के समीप ही धर्मशाला है। भोजनशाला की व्यवस्था है। कांगड़ा में अनेक होटल भी हैं। दर्शनीय स्थल : उत्तर भारत में हिमालय अपनी नैसर्गिक सौन्दर्यता के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यहाँ अनेक पर्यटकों का आवागमन रहता है। देशवासी भी गर्मियों में गर्मी से राहत की खोज में यहाँ छुट्टियों में आते हैं। सर्दियों का अनोखे आनन्द की चाहत रखने वाले उत्साही पर्यटक नवम्बर से जनवरी तक यहाँ आते हैं। शिमला-मनाली आदि स्थानों पर इन दिनों शून्य से नीचे तक तापमान चला जाता है। चारों ओर बर्फीली चादर सी बिछ जाती है, जिसका अवलोकन का एक अलग ही आनन्द होता है। कांगड़ा में कई मन्दिर भी हैं। उनमें से ब्रजेश्वरी का मन्दिर विशेषरूप से उल्लेखनीय है। यह मन्दिर पहाड़ी शिखर पर है-चतुष्कोणीय मन्दिर के ऊपर गुम्बद है। कांगड़ा की देखने योग्य चीजों में कांगड़ा राजाओं के प्राचीन किला का ध्वंसावशेष विशेष रूप से उल्लेखनीय है। जहाँगीर ने पत्थर की गोलाकृति देवी ब्रजेश्वरी को चाँदी से मढ़वा दिया था। पुष्पचन्दन-वसन-भूषण से मण्डित देवी के दर्शन संध्या व मंगल को आरती के बाद स्नान अभिषेक के समय किए जा सकते हैं। हरी चार कांगड़ा का एक और मुख्य आकर्षण है। इसी बीच बाणगंगा नदी का प्रवाह मन में रोमांच की तंरगे उठाता है। कांगड़ा से 5 कि.मी. दक्षिण में मसरूर की प्रसिद्धि इसके पहाड़ काटकर बनाए गये इन्दो-आर्य शैली के 15 गुफा मन्दिरों के लिए है। 22 1 3 मी. की ऊँचाई पर स्थित सुन्दर पहाड़ी शहर शिमला हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला है। शिमला से बस जम्मू, हरिद्वार, देहरादून, चम्बा, डलहोजी, पठानकोट, धरमशाला, कुल्ल मनाली, केलंग, टापरी सहित राज्य एवं पड़ोसी राज्यों के विभिन्न दिशाओं की ओर उपलब्ध हो जाती है। शहर में कार्ट रोड बस स्टैण्ड से सिटी बसें भी चलती हैं। शिमला का निकटतम हवाई अड्डा शहर से 17 कि.मी. दूर जुब्बरहाटी में है। हिमाचल की यात्रा में चण्डीगढ़ से बस से जाने में सुविधा रहती है। बस जाती है चण्डीगढ़ से-शिमला, मनाली, धरमशाला सहित हिमाचल प्रदेश के विभिन्न स्थानों की ओर। Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelprary.org
SR No.002578
Book TitleJain Tirth Parichayika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year2004
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size14 MB
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