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________________ जैन तीर्थ परिचायिका | गुजरात मूलनायक : श्री घृतकल्लोल पार्श्वनाथ भगवान। श्री सुथरी तीर्थ मार्गदर्शन : मांडवी से यह स्थान 67 कि.मी. तथा भुज रेल्वे स्टेशन से 86 कि.मी. दूरी पर है। कोठारा होकर यहाँ आना पड़ता है। कोठारा से यह तीर्थ 12 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। पेढ़ी : यहाँ से सांघाण निकट ही है। श्री घृतकल्लोल पार्श्वनाथ परिचय : इस मंदिर की प्रतिष्ठा विक्रम संवत् 1895 में हुई थी। कला की दृष्टि से यह मंदिर जैन श्वे. तीर्थ पेढी, अत्यन्त सुन्दर है। यहाँ की प्रभु प्रतिमा बहुत प्रभावी एवं चमत्कारी है। मु. पो. सुथरी, ता. अबडसा, जि. कच्छ कहा जाता है कि श्री उदेशी श्रावक को प्रभु प्रतिमा एक ग्रामीण से प्राप्त हुई थी। प्रतिमा को (गुजरात) अपने पास रखने पर उन्होंने चमत्कारों का अनुभव किया। उवेशी श्रावक ने पूज्य महिवर्य, फोन : 02831-84223 से इस विषय में जिज्ञासा प्रकट की तथा यतिजी के आदेशानुसार मंदिर का निर्माण कराया। इस उपलक्ष्य में आयोजित भोज में एक बर्तन में घी प्रयोग के बाद भी भरा ही रहा। इस चमत्कार से प्रभावित हो लोग प्रभु को घृतकल्लोल पार्श्वनाथ कहने लगे। सांघाण में श्री शांतिनाथ प्रभु की सौम्य मूर्ति विराजमान है। यहाँ तीर्थ में तिलकटुंक नामक नवटुंक है। ठहरने की व्यवस्था : मंदिर से 100 मीटर दूरी पर धर्मशाला है। भोजनशाला की पूर्ण व्यवस्था है। मूलनायक : श्री शान्तिनाथ भगवान, श्वेतवर्ण, पद्मासनस्थ । श्री कोठारा तीर्थ मार्गदर्शन : सुथरी से यह तीर्थस्थान 12 कि.मी. दूरी पर है। यहाँ से सीधे नलिया भी जाया जा सकता है। नलिया यहाँ से 18 कि.मी. दूर है। जखौ यहाँ से 28 कि.मी. दूर है। सुथरी जाने पेढ़ी : के लिए कोठारा होकर ही जाना पडता है। मांडवी यहाँ से 63 कि.मी. दर स्थित है। गाँव श्री शान्तिनाथ जैन देरासर के मध्य में जैन मोहल्ले में यह तीर्थस्थान है। भुज यहाँ से 89 कि.मी. दूर है। भुज रेल्वे एवं सधर्म फंड ट्रस्ट स्टेशन पर बस, टैक्सी आदि सभी सुविधाएँ है। तीर्थ पर दिनभर में विभिन्न स्थानों से मु. पो. कोठारा, 47 बसों का आवागमन होता है। ता. अबडसा, परिचय : इस मंदिर की प्रतिष्ठा विक्रम संवत् 1918 में हुई थी। इस मंदिर के निर्माता केशवजी जि. कच्छ (गुजरात) नायक यहाँ के निवासी थे। उन्होंने यह अत्यन्त कलात्मक मंदिर बनवाया। श्री शत्रुजय तीर्थ फा जो फोन : 02831-82235 पर भी इन्होंने एक ट्रॅक बनवायी। आठ गगनचुंबी शिखरों का यह मंदिर अत्यंत कलापूर्ण एवं दर्शनीय है। पूजा का समय प्रातः 7 से 4 बजे तक है। ठहरने की व्यवस्था : यहाँ पर 150 यात्रियों के ठहरने की धर्मशाला में सुविधा है। भोजनशाला की सुविधा भी उपलब्ध है। मूलनायक : श्री महावीर स्वामी भ., श्वेतवर्ण, पद्मासनस्थ। श्री जखौ तीर्थ मार्गदर्शन : कोठारा से यह तीर्थस्थान 28 कि.मी. दूरी पर है। यहाँ से नलिया 13 कि.मी. दूर , पेढ़ी: स्थित है। श्री जखौ रत्नट्रॅक देरासर पेढी परिचय : इसका निर्माण सेठ जीवराज रतनशी तथा भीमशी रतनशी ने करवाया, इसलिए इसे मु. पो. जखौ, रत्नटॅक जैन देरासर भी कहते हैं। इसी परकोटे के अन्दर आठ और मंदिर हैं। एक ही परकोटे ना अबरमा जिक में नौ मंदिर के शिखरों का दृश्य अति मनभावन और सुरम्य है। (गुजरात) ठहरने की व्यवस्था : यहाँ पर धर्मशाला तथा भोजनशाला है। फोन : (02831) 224 131 www.jainelibrary.org Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only
SR No.002578
Book TitleJain Tirth Parichayika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year2004
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size14 MB
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