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गुजरात
जैन तीर्थ परिचायिका महावीरालय : जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर मूलनायक भगवान श्री महावीर स्वामी सहित सभी परमपूजनीय मनोहर एवं चुम्बकीय आकर्षण युक्त प्रतिमायें दर्शकों को मोह लेती हैं। इस महावीरालय की विशिष्टता यह है कि आचार्य श्री कैलाससागरसूरीश्वरजी म. सा. के अन्तिम संस्कार के समय प्रतिवर्ष 22 मई को दोपहर, समय 2.07 बजे दहेरासर के शिखर में से होकर सूर्य किरणें श्री महावीरस्वामी के तिलक को दैदीप्यमान करें ऐसी अनुपम एवं अद्वितीय व्यवस्था की गई है। गुरु मंदिर : परम पूज्य आचार्य श्री कैलाससागरसूरीश्वर जी महाराज की पावनस्मृति में उनके अंतिम संस्कार स्थल पर निर्मित संगमरमर के कलात्मक मंदिर में दर्शकों को स्फटिक की अद्वितीय चरण पादुका व स्फटिक की ही अनन्तलब्धि निधान गौतम स्वामी की मनोहर प्रतिमा के दर्शन होते हैं। यहाँ दर्शकों को गुरु भगवंत की यशोगाथा का स्मरण होता है। आराधना भवन : प्राकृतिक हवा एवं रोशनी से भरपूर इस आराधना भवन में मुनि भगवंत स्थिरता कर अपनी संयम आराधना के साथ ही विशिष्ट ज्ञानाभ्यास, ध्यान, स्वाध्याय आदि का योग प्राप्त करते हैं। दर्शक यहाँ साधु भगवंतों का दर्शन एवं मार्गदर्शन का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। यह भवन स्थापत्य का एक विशिष्ट उदाहरण है। आचार्य श्री कैलाससागरसूरी ज्ञानमंदिर : अपने जैसा पहला व कम्प्यूटर जैसी आधुनिक सुविधाओं से सम्पन्न यह सुविशाल ज्ञानमंदिर पूजनीय साधु-साध्वियों, मुमुक्षुओं तथा जिज्ञासु गृहस्थों की साहित्य साधना के लिये अभूतपूर्व आयोजन है। यह अपने पांच विभागों सहित स्वयं में एक विशिष्ट शोध संस्थान है जहाँ जैन धर्म-संस्कृति सहित भारतीय कला के नमूनों का अजोड़ संग्रह है। दुर्लभ हस्तप्रतों, पाषाण, धातु एवं काष्ठ प्रतिमाओं तथा दुर्लभ
कलाकृतियों का संग्रहालय जिज्ञासुओं के लिए दर्शनीय है। ठहरने की व्यवस्था : यात्रियों के लिए उचित मूल्य पर सभी सुविधाओं के साथ कक्ष तथा
सामूहिक निवास के लिए हाल की सुविधा मुमुक्षु कुटीर में उपलब्ध है। इस सुविधा के लिए सामान्य तौर पर अग्रिम बुकिंग आवश्यक है। यहाँ पर जैन धर्म के सिद्धांतों के अनुरूप उत्तम भोजन की व्यवस्था है। नवकारशी एवं चौविहार के समय के बीच यहाँ पर अल्पाहार उपलब्ध है।
जिला जामनगर
द्वारका
पोरबन्दर से 128 कि.मी. जामनगर से 131 कि.मी. दूरी पर अहमदाबाद से 432 कि.मी. दूरी पर
स्थित है। राज्य के विभिन्न स्थानों से यह बस मार्ग द्वारा सम्पर्क में है। यहाँ से 30 कि.मी. दूर स्थित ओखा के लिए प्रत्येक घण्टे में बस सेवा उपलब्ध है। रेल्वे मार्ग द्वारा भी द्वारका मुम्बई, अहमदाबाद के सम्पर्क में है। यह हिन्दुओं का एक पवित्र तीर्थ है। यह चार धामों में से एक माना जाता है। यहाँ का द्वारकाधीश का प्रमुख मन्दिर रेल्वे स्टेशन से 3 कि.मी. दूरी पर स्थित है। 2500 वर्ष से भी अधिक पुराना यह मन्दिर जगत मन्दिर के नाम से भी जाना जाता है। मुख्य मन्दिर पांच मंजिलों का है। इसका सर्वोच्च शिखर 157 मीटर ऊँचाई का है। द्वारकाधीश मन्दिर के निकट ही बहती गोमती नदी द्वीप पर एक कृष्ण मन्दिर है। यहाँ गोमती का संगम है। इसके दूसरे तट पर पंचनद तीर्थ है। जहाँ पांच कुंए हैं जो पांडवों के नाम पर हैं। द्वारका-ओखा मार्ग पर 2 कि.मी. दूरी पर रुक्मिणी मंदिर, भद्ररानी मंन्दिर अत्यंत दर्शनीय है। यहाँ से 15 कि.मी. दूरी पर नागेश्वर महादेव तीर्थ है। गोपी तालव तीर्थ द्वारका से 23 कि.मी. दूरी पर स्थित है जो अत्यन्त दर्शनीय है। द्वारका को स्थानीय नागरिक दोयारका के नाम से पुकारते हैं।
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