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________________ राजस्थान श्री केशरियाजी तीर्थ पेढ़ी : प्रभारी अधिकारी, भंडार, धुलेव, श्री ऋषभदेव मंदिर, देवस्थान विभाग राजस्थान, मु. पो. रिषभदेव, जि. उदयपुर (राजस्थान) फोन : (02907) 32023, 32025 जैन तीर्थ परिचायिका मूलनायक : श्री आदीश्वर भगवान, श्यामवर्ण । मार्गदर्शन : उदयपुर से 66 कि.मी. दूरी पर यह प्रसिद्ध तीर्थस्थान है। उदयपुर-खैरवाड़ा राष्ट्रीयमार्ग 8 पर ऋषभदेव ग्राम में यह तीर्थ स्थित है। निकटतम रेल्वे स्टेशन ऋषभदेव रोड है। जहाँ से ऑटो, रिक्शा, बस आदि साधन उपलब्ध हैं। शामलाजी से यह तीर्थ लगभग 56 कि.मी. तथा हिम्मतनगर से 100 कि.मी. दूर पड़ता है। परिचय : यहाँ की प्रभु प्रतिमा चमत्कारी एवं भक्तों की मनोकामना पूरी करने वाली मानी जाती है। मेवाड़ के राणा सदैव प्रभु के दर्शनार्थ यहाँ आते थे। राणा फतेहसिंहजी ने प्रभु के लिए स्वर्णमयी रत्नोंजडित अमुल्य अंगी भी भेंट की थी। यहाँ पर प्रचुर मात्रा में प्रभु पर केशर चढ़ाया जाता है, इसलिए श्री आदीश्वर प्रभु को केशरियानाथ कहते हैं। जैन-जैनेतर भक्तगण इसे बहुत मानते हैं। यह मंदिर 52 जिनालय युक्त है। ऐसा माना जाता है कि लंकापति रावण इसकी पूजा करते थे। ठहरने की व्यवस्था : यहाँ धर्मशाला एवं भोजनशाला है। इस मंदिर को लेकर श्वेताम्बर-दिगम्बर संप्रदाय के बीच संघर्ष होने के कारण फिलहाल इसका कार्यभार सराकर के अधीन है। नागफणी पार्श्वनाथ मूलनायक : भगवान पार्श्वनाथ। मार्गदर्शन : केशरिया जी से 40 कि.मी. बीछावाड़ा और वहाँ से 10 कि.मी. दूर मैस्वो नदी के पास स्थित है अतिशय क्षेत्र नागफणी पावनाथ। बीछावाड़ा से 6 कि.मी. तक बस जाती है वहाँ से पैदल नदी पर पहुँचकर मौदर गाँव से पहले ही नदी के किनारे बांयी ओर लगभग 200 मीटर चलने पर पहाड़ पर मन्दिर दिखाई देने लगता है। यह सारा मार्ग काफी चढ़ाई उतराई का है। लगभग 50 सीढ़ी चढ़कर मन्दिर आता है। सीढ़ियों के आरम्भ में ही जलकुण्ड का जल अभिषेक व पीने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। कहते हैं कि कभी-कभी यहाँ जंगली जानवर भी आ जाते हैं। परिचय : मन्दिर में मूलनायक पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा सातिशय एवं काफी प्राचीन है। प्रतिमा के सिर पर सप्तकण मण्डप बना है इसमें तीन फण खण्डित हैं। यहाँ के अतिशय की बहुत मान्यता है । मन्दिर के दोनों ओर सुविधा सम्पन्न धर्मशाला है। यहाँ प्रत्येक पूर्णिमा को लघु व आषाढ़ी पूर्णिमा को बड़ा मेला लगता है। अणिदा पार्श्वनाथ मूलनायक : श्री अणिदा पार्श्वनाथ प्रभु। (अतिशय क्षेत्र) मार्गदर्शन : उदयपुर से 32 कि.मी. दूर स्थित वल्लभ नगर तहसील के बड़ा बाठराड़ा ग्राम में । यह तीर्थ स्थित है। उदयपुर से बसों की सुविधा उपलब्ध है। (उदयपुर से यात्रीगण मार्ग की पुष्टि कर इस तीर्थ की यात्रा करें ऐसा अनुरोध है) परिचय : 1000 वर्ष पूर्व में बना यह मन्दिर अत्यन्त प्राचीन है। सुन्दर रमणीय प्राकृतिक वातावरण में स्थित यह क्षेत्र अपने चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ लोग भगवान पार्श्वनाथ को काले बाबा के नाम से पुकारते हैं। ठहरने की व्यवस्था : ठहरने हेतु धर्मशाला की व्यवस्था है। 110 Jantopcation International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002578
Book TitleJain Tirth Parichayika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year2004
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size14 MB
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