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राजस्थान
जैन तीर्थ परिचायिका उन्होंने तीर्थ की रक्षा के लिए कुछ भूमि ताम्रपत्र पर लिखकर भेंट दी। विक्रम संवत् 1989 में श्री अ. भा. जैन श्वेताम्बर पोरवाल सम्मेलन यहाँ पर योगीराज श्री विजयशान्तिसूरी जी म. की निश्रा में संपन्न हुआ था। मंदिर के नजदीक पहाड़ पर श्री सम्मेदशिखर जी की रचना
अत्यंत सुन्दर ढंग से की गयी है। पूजा का समय प्रातः 10 बजे से 4 बजे तक है। ठहरने की व्यवस्था : यहाँ पर मंदिर के अहाते में विशाल सुविधायुक्त धर्मशाला तथा भोजनशाला
है। भोजनशाला का समय 11 से 1 बजे तथा सायं 5 से 6 बजे का है।
श्री नांदिया तीर्थ
पेढ़ी : श्री वर्धमान आनंदजी जैन देरासर पेढी मु. पो. नांदिया, जि. सिरोही (राजस्थान) फोन : 02971-6127 पी.पी.
मूलनायक : श्री जीवित स्वामी महावीर भगवान। मार्गदर्शन : बामणवाडजी तीर्थ से यह स्थान 6 कि.मी. तथा सिरोही रोड रेल्वे स्टेशन से ___10 कि.मी. दूरी पर है। परिचय : "नाणा, दियाणा, नांदिया... जीवित स्वामी वांदिया" ऐसी कहावत है। विश्वविख्यात
राणकपुर के निर्माता धरणाशाह और बंधु रत्नाशाह इसी नगरी के निवासी थे। किसी समय यह नगर जाहोजलाली पूर्ण रहा होगा। भगवान महावीर ने चंडकौशिक सर्प को यहीं पर प्रतिबोध दिया था ऐसा प्रसिद्ध है। ठहरने के लिये धर्मशाला है।
श्री लोटाणा तीर्थ मूलनायक : श्री आदीश्वर भगवान, श्वेतवर्ण।
मार्गदर्शन : नांदिया से 7 कि.मी. दूरी पर, लोटाणा गाँव में एक टेकरी पर यह स्थान है। परिचय : मूलनायक श्री आदीश्वर भगवान की प्रतिमा श्री शत्रुजय तीर्थ के तेरहवें उद्धार की मानी
जाती है। प्रभु की प्रतिमा अत्यन्त प्रभावशाली है। इस ढंग की परिकरयुक्त प्रतिमा अन्यत्र नहीं है । ठहरने के लिये मंदिर के अहाते में ही कुछ कमरे बने हुए हैं।
श्री मीरपुर तीर्थ
पेढ़ी : सेठ कल्याण जी परमानंद जी पेढ़ी मीरपुर, पो. ऑ. कृष्णगंज, जि. सिरोही (राजस्थान)
मूलनायक : श्री पार्श्वनाथ भगवान मार्गदर्शन : आबू रोड से 60 कि.मी. तथा सिरोही रोड से 37 कि.मी. दूर स्थित यह तीर्थ सिरोही
शहर से 15 कि.मी. दूर है। इन स्थानों से बस व टैक्सी सुविधा उपलब्ध है। बस स्थल मीरपुर यहां से 3 कि.मी. दूर स्थित है परन्तु वहाँ से सवारी का उचित साधन उपलब्ध नहीं
रहता है। मंन्दिर तक कार, बस जा सकती है। परिचय : तीनों ओर से प्राकृतिक वनों से घिरा यह तीर्थ मीरपुर से लगभग ढाई कि.मी. दूर सुरम्य
वातावरण में स्थित है। यहाँ की शिल्पकला देखने योग्य है। शिल्पियों द्वारा अपनी अद्भुत कला का प्रदर्शन किया गया है जो बरबस ही देलवाड़ा के मन्दिरों की याद दिला देती है।
यहाँ इसके अतिरिक्त भगवान महावीर का एक अन्य मन्दिर भी है। ठहरने की व्यवस्था : ठहरने हेतु सुविधायुक्त धर्मशाला है।
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