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[ 12 ] हम जैन दर्शन समिति के आभारी हूँ जिसने प्रस्तुत पुस्तक का सारा व्यव पहन किया। हम स्व. श्री मोहन लाल जी बांठिया तथा जबरमल जी भंडारी के अत्यन्त लाभारी है जिन्होंने हमें इस कार्य के लिये प्रोत्साहित किया है। हम साहित्य पारिधि श्री बगरचन्दजी नाहटा के भो कम अभारी नहीं हैं जो सदा हमारी तथा हमारे कार्य की खोज खबर लेते रहे हैं।
हम स्व. श्री मोहनलालखी बाँठिया के प्रति अत्यन्त आभारी है जिनके सानिध्य में कोश निर्माण व जैन दर्शन के विविष पहलुओं के शोध करने का अवसर मिला। जैन दर्शन समिति के कार्य वाहक सभापति श्री ताजमलजी बोथरा, श्री रतनलालजी रामपुरिया, श्री नेमचन्दजी गधया, श्री मोहनलालजी बैद, श्री केवलचन्दषी नाहटा, श्री मांगीलालबी लुणिया, श्री जयचन्दलाल गोठी, श्री धर्मचन्द राखेचा, श्री सुरजमलजी सुराना, आदि सभी बन्धुओं को धन्यवाद देते हैं। जिन्होंने हमें मुक या अमुक रूप में सहयोग दिया।
आता है धर्म प्रेमी पाठक प्रस्तुत पुस्तक का तन्मयता से अध्ययन करेंगे, परा भी उपयोगी सिद्ध हुई तो मैं अपना प्रयास सफल समदूंगा।
श्रीचन्द चोरडिया, न्यायतीर्थ (व्य)
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