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पुद्गल द्रव्य और पुद्गल की सूक्ष्म स्थूल अवस्थायें बम आदिकी तीव्र आवाजसे कानके पर्दे फट जाते हैं और तीव्र शब्दों के आगे सूक्ष्म शब्द दब जाते हैं । इन विविध कारणोंसे शब्दको पुद्गल द्रव्यका ही परिणाम माना जाता है। ___ अनेक पदार्थों का परस्पर एकक्षेत्रावगाह रूपसे संबंध हो जाने को बंध कहते हैं । दो धातुओंका परस्पर एक रूप हो जाना केवल पौद्गलिक बंध है अर्थात् पुद्गलका पुद्गलसे बंध है। कर्म और नोकर्म रूपसे जो जीव और पुद्गलका संयोग रूपबंध होता है, वह द्रव्य बंध है और राग द्वेष आदि रूपसे जो बन्ध होता है, वह भाव बन्ध कहलाता है।
सूक्ष्मता दो प्रकारकी होती है - अन्त्य सूक्ष्मता और आपेक्षिक सूक्ष्मता। परमाणुओंमें अन्त्य सूक्ष्मता पायी जाती है और द्वयणुकादिमें आपेक्षिक सूक्ष्मता होती है । जैसे आमलेकी अपेक्षा बैर सूक्ष्म होता है। अतएव आपेक्षिक सूक्ष्मता अनेक भेदरूप हो जाती है।
स्थूलता भी दो प्रकारकी होती है - अन्त्य स्थूलता और आपेक्षिक स्थूलता। सम्पूर्ण लोक में व्याप्त महास्कन्ध अन्त्य स्थूलता होती है और आपेक्षिक स्थूलता द्वयणुकादि स्कन्धोंमें होती है - जैसे बदरीफलकी अपेक्षा आमले में स्थूलता होती है । यह आपेक्षिक स्थूलता भी अनेक प्रकारकी हो जाती है ।
संस्थान आकृति विशेषको कहते हैं। पुद्गलकी अनेक प्रकारकी आकृतियाँ होती हैं । गोल, त्रिकोण, चतुष्कोण, दीर्घ, ह्रस्व आदि विभिन्न संस्थानों के रूपमें पुद्गल द्रव्यको देखा जा सकता है । जीवोंके शरीरके रूपमें स्वाति, कुब्जक आदि छह संस्थान प्रसिद्ध हैं।
भेदका अर्थ विश्लेषण है | परस्पर संयुक्त हुए अनेक पदार्थों के पृथक् पृथक् हो जाने को भेद कहते हैं । यह औत्कारिक चौर्णिक खण्ड आदिके भेदसे अनेक प्रकार का होता है। जैसे चनेको दलनेसे दाल रूप खण्ड हो जाते हैं और दालको पीसनेसे चौर्णिक रूप हो जाता है।
प्रकाशके विरोधी और दृष्टिका प्रतिबंध करने वाले पुद्गल परिणामको तम कहते हैं, वृक्षादि का आश्रय पाकर, प्रकाशका आवरण पड़नेपर, जो प्रतिकृति पड़ती है, उसे छाया कहते हैं । चन्द्रमा, जुगनु आदिका शीतल प्रकाश उद्योत है और सूर्य, अग्नि आदिका उष्ण प्रकाश आतप है। तम, छाया, आतप और उद्योत ये पुद्गल द्रव्यके विशेष परिणमनके द्वारा ही निष्पन्न हुआ करते हैं, इसी कारण १. जैन तत्त्वकलिका, सप्तम कलिका, पृ० २३३
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