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आत्मा का कर्तृत्व, आत्मा का भोक्तृत्व, तत्वज्ञ आत्मा, सर्वज्ञ आत्मा
(ख) आत्मा एवं कर्म (254 – 256 )
अष्ट मूलकर्म, मूर्त कर्म का अमूर्त आत्मा से सम्बन्ध, कर्म का कर्तृत्व एवं अकर्तृत्व
(ग) कर्म एवं लेश्या (७०7 – 264 )
कर्मगत आत्म परिणामी लेश्या, षड्लेश्या कृष्ण, नील, कापोत, तेजो, पद्म, शुक्ललेश्या, स्वर्ग एवं नरक में लेश्या, लेश्या और ध्यान
(घ) योग : योगफल > ज्ञान एवं मुक्ति (265 – 274 ) सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधि - ज्ञान, मन:पर्ययज्ञान, केवलज्ञान, सम्यक्चारित्रः सामायिक चारित्र, छेदोपस्थापना चारित्र, सूक्ष्मसंपरायचारित्र, परिहारविशुद्धिचारित्र यथाख्यात चारित्र, बन्ध और उसके कारण : मिथ्यात्व, अविरति, प्रमाद, कषाय, योग, मुक्ति निर्वाण |
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उपसंहार
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
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275-277
278-286
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