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________________ (xxxxv) (ग) हरिभद्रसूरि का व्यक्तित्व (62- 77) भारतीय संस्कृति के प्रतिनिधिसन्त, समाज के यथार्थ सेवक, गुरुभक्त हरिभद्र, एक सफल टीकाकार हरिभद्रसूरि, कथा साहित्य में हरिभद्रसूरि का स्थान, अन्य विशेषताएं-समत्व दृष्टि और औदार्यगुण, तुलनात्मक दृष्टि, बहुमानवृति, स्वपरम्परा को नवीन दृस्टिदाता, भेदभाव मिटाने में कुशल एवं समन्वयकार हरिभद्र (घ) हरिभद्रसूरि का कृतित्व (77-102) (क) दार्शनिक ग्रन्थ, (ख) कथा साहित्य, (ग) योगसाहित्य, (घ) ज्योतिषपरक रचनाएं, (ङ) स्तुतिसाहित्य, (च) आगमिक प्रकरण आचार एवं उपदेशात्मक रचनाएं : अप्राप्त वृत्तिग्रन्थ, आगमटीकाएं अथवा वृत्तियों, व्याख्या प्रधान ग्रन्थ तथा अन्य उपलब्ध स्वतन्त्र भाष्य, वृत्ति एवं टीका ग्रन्थों की सूची, (क) प्रमुख रचनाओं का परिचय : (1) अनेकान्त जयपताका, (2) अनेकान्तवादप्रवेश, (3) अनेकान्तसिद्धि, (4) द्विजवदनचपेटा, (5) धर्म संग्रहणी, (6) लोकतत्वनिर्णय, (7) षड्दर्शनसमुच्चय, (8) शास्ववार्तासमुच्चय, (9) सर्वज्ञसिद्धि (10) अष्टक प्रकरण, (11) उपदेशपद, (12) धर्मबिन्दु, (13) पंचवत्युग, (14) पंचासग, (15) बीस विशिकाएं. (16) संसारदावानल, (17) श्रावकधर्म, (18) श्रावकधर्मसमास, (19) हिसाष्टक, (20) स्याद्वादकुचोदपरिहार, (21) सम्बोधप्रकरण, (ख) अप्राप्त एवं उल्लिखित ग्रंथ : (1) अनेकान्त प्रधट्ट, (2) अनेकान्तसिद्धि, (3) अर्हत् श्रीचूडामणि, (22) दरिसण सत्तरि, (23) षोडशकप्रकरण, (24) चैत्यवन्दनसूत्रवृत्ति, (ग) कथा परक साहित्य : (25) समराइच्चकहा, (26) धूर्ताख्यान, (घ) योग सम्बन्धी रचनाएं : (27) योगविशिका, (28) योगशतक, (29) योगदृष्टिसमुच्चय और (30) योगबिन्दु ____Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002573
Book TitleYogabindu ke Pariprekshya me Yog Sadhna ka Samikshatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuvratmuni Shastri
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages348
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size14 MB
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