SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 44
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (xxxix) अनेक उपयोगी सुझाव दिए हैं। इस अवसर पर मैं अपने परम उपकारी समादरणीय पितामह श्री बनवारी लाल जी उपाध्याय का भी श्रद्धापूर्ण स्मरण करता हैं जिनकी दयादृष्टि से ही मैं ज्ञानाराधन में और युवावस्था में अध्यात्म साधना में प्रवृत्त हुआ हूं । मैं उनका अत्यन्त ऋणी हूं। श्री रामपाल जी शर्मा एवं अपने अग्रज श्रीकृष्णपाल उपाध्याय के योगदान की भी मंगल कामना करता हं । सुश्रावक श्री जे० डी० जैन गाजियाबाद की सेवाभक्ति भी इस कार्य में प्रशंसनीय है। अतः गुरु भक्तों का भी साधुवाद करता हूं जिन्होंने इस ग्रंथ के प्रकाशन में अपना उदार आर्थिक सहयोग दिया है। श्री के० एल० जैन एवं मास्टर श्री उग्रसेन जैन सफीदों तथा श्री सशील कुमार जैन अम्बाला छावनी का भी साधुवाद करता हूं जिनका समय व समय सहयोग हमें मिलता रहा। कुरुक्षेत्र विश्वविद्याल कुरुक्षेत्र की लायब्रेरी के प्रबन्धकों को भी मैं साधुवाद देता हूं जिन्होंने मुझे अनेक ग्रंथ उपलब्ध कराए हैं। आचार्य श्री अमरसिंह जैन पुस्तकालय मानसा मण्डी के प्रबन्धकों का भी साधवाद है जहां के भी कई ग्रंथों का मैंने सदूपयोग किया। प्रकाशक, मंत्री श्री आत्मज्ञानपीठ, मानसा मण्डी को भी साधुवाद देता हूं जिनके परामर्श से प्रकृत ग्रंथ का प्रकाशन सम्भव हो सका। श्री यशपाल जी सहगल मालिक मुद्रक प्रेस तथा उनके सभी सहयोगियों का भी मैं धन्यवाद करता हैं जिनकी तत्परता, लगन एवं सौजन्य से ग्रंथ प्रकाशन में महती सहायता मिली है। अन्त में मैं उन सभी महानुभावों के प्रति भी अपनो कृतज्ञता प्रगट करता हूं जिनका प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष- रूप से मुझे सहयोग प्राप्त हुआ है। -सुव्रत मुनि शास्त्री विजय दशमी जैन स्थानक, गन्नौर मण्डी, सोनीपत (हरियाणा) दिनांक १७-१०-१९६१ ___Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002573
Book TitleYogabindu ke Pariprekshya me Yog Sadhna ka Samikshatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuvratmuni Shastri
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages348
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy