SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 324
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ योगविन्दु एवं तत्त्वविश्लेषण 267 श्रुतज्ञान: आत्मा के द्वारा जो सुना जाए वह श्रुतज्ञान है। यह मतिपूर्वक होता है पहले उसके दो भेद किए गए और फिर अनेक भद ।' यद्यपि इस ज्ञान में इन्द्रियां और मन सहायक होते हैं, फिर भी शब्दार्थ के पर्यालोचन से उत्पन्न ज्ञान ही थ तज्ञान कहा जाता हैं। अवधिज्ञान ... इन्द्रिय और मन की अपेक्षा न रखता हुआ केवल आत्मा के द्वारा रूपी एवं मूर्त पदार्थों का साक्षात् कार करने वाला ज्ञान, अवधिज्ञान कहलाता है, अवधि शब्द का अर्थ मर्यादा भी होता है। अवधि रूपी द्रव्यों को प्रत्यक्ष करने की शक्ति रखता है, अरूपी को नहीं। यही इसकी मर्यादा है । अथवा अवशब्द अधो अर्थ का वाचक है, जो अधोऽधो विस्तृत वस्तु के स्वरूप को जानने की शक्ति रखता है, उसे अवधिज्ञान कहते हैं। अथवा बाह्य अर्थ का साक्षात् करने का जो आत्मा का व्यापार होता है, उमे अवधिज्ञान कहते हैं। इससे आत्मा का प्रत्यक्ष नहीं होता । विषय बाहुल्य की अपेक्षा से ही ये विविध व्युत्पत्तियां की गई हैं। मनःपर्ययज्ञान ___ मनःपर्यय यह शब्द मन + परि + अयन इन शब्दों के मेल से बना है। इसका अर्थ है.---मन के समस्त धर्मों को सब प्रकार से जानना । इस ज्ञान में ज्ञाता दूसरों के मन में उत्पन्न विचारों को बिना बतलाए १. श्रुतं मतिपूर्व द्वयनेकद्वादशभेदम् ।। वही तत्त्वार्थ सूत्र १.२० २. शब्दार्थपर्यायलोचनानुसारी इन्द्रियमनोनिमित्तोऽवगम विशेषः । (नन्दीसूत्र टीका), प्रशमरति, भाग-२, पृ० ५८ पर उद्ध त । ३. अवशब्दोऽय शब्दार्थः, अवअधोऽधो विस्तृतवस्तु धीयते परिच्छिालेऽनेनेत्यवचिः अथवा अवधिर्मर्यादा रूपीष्वेव परिच्छेदकत्तया प्रवृत्तिख्पातदुपलक्षितज्ञानमप्यवधि: यवा अवधानम् आत्मनोऽर्थसाक्षात्करण व्यापारोऽवधि: अवधिश्चासौ ज्ञानम् । अवधिज्ञानम् ॥ नन्दीसूत्र, वृत्ति, पृ० ६३. Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002573
Book TitleYogabindu ke Pariprekshya me Yog Sadhna ka Samikshatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuvratmuni Shastri
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages348
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy