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________________ (xxvi) (४) समता : अविद्या द्वारा कल्पित इष्ट-अनिष्ट की वास्तविकता का बोध हो जाने पर इष्ट आकर्षण और अनिष्ट अनाकर्षण समाप्त हो, एक उपेक्षा, निःस्पृहता, निःसंगता का प्रादुर्भाव होता है उसे समता व हते है ।” (५) वृत्तिसंक्षय : आत्मा की कर्मों के साथ बन्ध होते रहने की जो अनादिकालीन वृत्ति है उसका संक्षय, सम्पर्णरूप से क्षय हो जाना, मिट जाना वृत्ति संक्षय कहलाता हैं ।" भावना, ध्यान और समता के सम्यक् अभ्यास से वृत्तिसंक्षय का आविर्भाव होता है । योग की विभिन्न विधाओं की चर्चा करते हुए हरिभद्रसूरि ने साधन रूप जप सम्बन्धी उल्लेख भी किया है । उनके अनुसार जप किसी देवमूर्ति के समक्ष, किसी दुमज, सरोवर या नदीतट जैसे शुद्ध व नैसर्गिक स्थान पर करना चाहिए । जप में बाह्य शुद्धि के साथ अंतरभावों का भी जपमय हो जाना अति आवश्यक है । मन को हठपूर्वक जप में लगाने की अपेक्षा विक्षिप्तता का अनुभव होने पर कुछ समय विश्रांति के अनन्तर जप करना चाहिए । आचार्य श्री जी का यह सूचन उनके सहजतापूर्ण दृष्टिकोण को प्रस्तुत करता है । साधनापथ पर अविरमित गति से बढ़ते हुए साधक प्रगतिसूचक संकेतरूप कुछ असाधारण विशिष्टताओं का भी अनुभव करता है । जैसे स्वप्न में देवदर्शन, किसी अन्य महापुरुष के दर्शन इत्यादि शुभ संकेतपूर्ण स्वप्नों का आना । यह स्वप्न मनोविकार जन्य न होकर यथार्थ प्रतीति से युक्त होते हैं तथा समय पाकर सत्य सिद्ध होते हैं । कार्य-कारण भाव एक अटल वैधानिक नियम है। बिना कारण के कार्य घटित नहीं हो सकता, जो जैन- दर्शनानुसार पांच हैं । जिसे पंच- समवाय भी कहते हैं । यथा काल, स्वभाव, कर्म, नियति और पुरुषार्थ । हरिभद्रसूरि के अनुसार इसमें स्वभाव की प्रभुसता है । अन्य तत्वों के बीज स्वभाव में ही निहित हैं । वे इसी के सहायक रूप हैं। हरिभद्रसूरि के मतानुसार चरम पुद्गलपरावर्तन में जो जीव नहीं है वे विभाववश सांसारिक भोगोपभोग में ही स्वयं को सुखी मानते हुए त्रिसंज्ञा आहार, भय और मैथुन में लिप्त रहते हैं । जिन्हें भवाभिनन्दी Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002573
Book TitleYogabindu ke Pariprekshya me Yog Sadhna ka Samikshatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuvratmuni Shastri
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages348
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size14 MB
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