SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 292
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पोग : ध्यान और उसके भेद 235 (१) मिथ्यादृष्टि मिथ्यात्व प्रकृति के उदय से उत्पन्न होने वाले परिणामों के कारण जीव विपरीत श्रद्धान करने वाला हो जाता है । इस प्रकार के विपरीत श्रद्धा वाले जीव के स्वरूप विशेष को मिथ्यात्व गु गस्थान अथवा मिथ्यात्व दृष्टि गुणस्थान कहते हैं।' इस गुणस्थानवती जीव को यथार्थ धर्म उसी प्रकार अच्छा नहीं लगता जैसे पितज्वर से पीड़ित व्यक्ति को मीठारस अच्छा नहीं लगता। यद्यपि इस गुणस्थान में जीवों को कषायों की तीव्रता और मन्दता को अपेक्षा संक्लेश को हीनाधिकता होती रहती है। फिर भी उनकी दष्टि विपरीत ही बनी रहने से उन्हें आत्म स्वरूप का यथार्थ भाव नहीं हो पाता और जब तक निजस्वरूप का यथार्थ बोध नहीं होता तब तक जीव मिथ्यादृष्टि ही बना रहेगा। (२) सासादनगुणस्थान जब कोई जीव मिथ्यात्व मोहनोय कर्म का और अनन्तानुबन्धी कषायों का उपशम करके सम्यक्दष्टि बनता है, तब वह उस अवस्था में अन्तम हर्त काल तक ही रहता है। उस काल के भीतर कुछ समय शेष रहते हुए यदि अनन्तानुबन्धी कषाय का उदय आवे तब वह नियम से गिरता है और एक समय से लेकर छह आवली काल तक छोड़े गए सम्यक्त्व का कुछ आस्वाद लेता रहता है। इसी मध्यवर्ती पतनोन्मखी दशा का नाम सासादन गुणस्थान हैं। इसमें जीव क्योंकि सम्यक्त्व की विराधना करके गिरता है । अतः इसे सासादन सम्यग्दृष्टि भी कहते हैं । (३) सम्यग्मिथ्यादृष्टि अथवा मिश्रदृष्टि गुणस्थान प्रथम बार उपशम सम्यक्त्व प्राप्त करता हआ जीव मिथ्यात्व कर्म के मिथ्यात्व, सम्यग्मिथ्यात्व और सम्यक्त्वप्रकृति ये तीन विभाग करता १. मिच्छंतं वेदंतो जीवो विवरीय दनणां होदि । णयधभ्मं रोचिदि ह महरं ख रंसं जहा जरिदो ॥ गोम्मट्टसार जीव काण्ड, गा० १७ तथा मिला० कर्म ग्रन्थ २, पृ० १३ २. दे० कर्मग्रन्य भा० २, पृ० १५ Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002573
Book TitleYogabindu ke Pariprekshya me Yog Sadhna ka Samikshatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuvratmuni Shastri
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages348
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy